कविता – माँ पद्मावती
लोकतंत्र आज खतरा बन गया , राजपुताना का दुश्मन बन गया
सिंहासन का जिसने निर्माण किया , वो उसका आज सपना बन गया
देखो माँ पद्मावती के अपमान पर, उठी राजपूताना तलवारे है
जो उस मूवी का समर्थन करे , वो सब खलजी की संतानें है.....2
भूल गए वो कर्ज हमारा , जो पूरे देश पर चढ़ा हुआ है।
अपनी माँ की इज्जत के लिए आज, एक एक राजपूत खड़ा हुआ है ।
देखो माँ पद्मावती के अपमान पर , भड़के शोले ओर अंगारे है।
जो उस मूवी का समर्थन करे वो, सब खलजी की संतानें है...2
उस दिन सँविधान तुम्हारा कँहा था, जब हमसे हमारी जमीन मांगी थी तुमने ...2
लोकन्त्र की स्थापना के लिए , अपना गुरुर दिया था हमने...1
कँहा है वो आज लोकतंत्र , और कँहा वो राजनीति के गलियारे है।
जो उस मूवी का समर्थन करे, वो सब खलजी की संतानें है .....2
लोकतंत्र को बनाने वाले , अब लोकतंत्र के खिलाफ कर दिए गए
जिन्होंने देश के लिए जान दे दी , वो सपूत नीलाम कर दिए गए
तैयार रहो देशवासी मेरे , राजपूत एक नई कथा दोहराने वाले है ।
जो उस मूवी का समर्थन करे वो सब खलजी की संतानें है....2
©
This poem wrote by
Author Pawan Singh Sikarwar
लोकतंत्र आज खतरा बन गया , राजपुताना का दुश्मन बन गया
सिंहासन का जिसने निर्माण किया , वो उसका आज सपना बन गया
देखो माँ पद्मावती के अपमान पर, उठी राजपूताना तलवारे है
जो उस मूवी का समर्थन करे , वो सब खलजी की संतानें है.....2
भूल गए वो कर्ज हमारा , जो पूरे देश पर चढ़ा हुआ है।
अपनी माँ की इज्जत के लिए आज, एक एक राजपूत खड़ा हुआ है ।
देखो माँ पद्मावती के अपमान पर , भड़के शोले ओर अंगारे है।
जो उस मूवी का समर्थन करे वो, सब खलजी की संतानें है...2
उस दिन सँविधान तुम्हारा कँहा था, जब हमसे हमारी जमीन मांगी थी तुमने ...2
लोकन्त्र की स्थापना के लिए , अपना गुरुर दिया था हमने...1
कँहा है वो आज लोकतंत्र , और कँहा वो राजनीति के गलियारे है।
जो उस मूवी का समर्थन करे, वो सब खलजी की संतानें है .....2
लोकतंत्र को बनाने वाले , अब लोकतंत्र के खिलाफ कर दिए गए
जिन्होंने देश के लिए जान दे दी , वो सपूत नीलाम कर दिए गए
तैयार रहो देशवासी मेरे , राजपूत एक नई कथा दोहराने वाले है ।
जो उस मूवी का समर्थन करे वो सब खलजी की संतानें है....2
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This poem wrote by
Author Pawan Singh Sikarwar
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