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डिटेक्टिव करुण नायर - मुर्दों के गुमशुदा होने का रहस्य



ये 71’ की शुरुआत की बात है। जनवरी बीत चुकी है और फरवरी की शुरुआत हो चुकी है। पिछले कुछ दिनों से करुण के पास कोई ऐसा केस नही आया जिसमे करुण अपनी रुचि दिखाए। करुण का स्पष्ट कहना था कि जो केस बिना रहस्यों के होते है उनको हल करने का काम पुलिस को ही करने देना चाहिए। करुण अक्सर कभी कभी ऐसी बात कर जाता था जिनको समझना मुश्किल ही नही कभी कभी नामुमकिन होता था। वह शांति पसंद प्राणी था। वह अक्सर अपना सुबह और शाम का समय आँगन में पीपल के पेड़ के नीचे चाय पीते और अखबार पढ़ते हुए बिताता था। लेकिन दोपहर में वह अपने कमरे में बैठकर कुछ ना कुछ छानबीन करने में बीतता था। वह रसायन और भौतिक विज्ञान में काफी रुचि लेता था। खैर करुण इतिहास में काफी कमजोर था इसलिए वह बिल्कुल भी इतिहास से जुड़े विवाद से अलग ही रहता था क्योंकि उसका कहना था कि “इतिहास हमे सिखाता है कि इतिहास हमे कुछ नही सिखाता” करुण अपने केस बढ़े ध्यानपूर्वक लेता था। अगर किसी का केस रहस्यों से भरा दिखता था तो वह बिना फीस लिए भी केस को सुलझाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लेता था। मै जब उससे इसका कारण पूछता था तो वह हँसकर कहता था कि सुजान

“पैसों की ज्यादा इच्छा अक्सर इंसान को गलत कामो की तरफ ले जाती है” 

मै उसकी इन गूढ़ छुपी बातो का मतलब कभी नही समझ पाता था। कोई केस ना होने की वजह से करुण और मैने करुण के एक दोस्त रवि शंकर के यंहा घूम कर आने का योजना बनाई। करुण के ज्यादा मित्र नही थे। रवि शंकर फ़ौज में करुण से मिले थे और दोनों ही शतरंज खेलने के शौकीन थे शायद यही कारण रहा होगा कि वह करुण का मित्र बन गया था। खैर कुछ दिन पहले ही हमे उसका एक पत्र मिला था जिसमे उसने अपने गांव में अजीब हरकतो के बारे में बताया था। लेकिन ये स्पष्ट नही था कि वह हरकते क्या है। करुण ने अपने मित्र का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था। रवि शंकर मुरादाबाद से आगे एक छोटे से कस्बे रामपुर में रहता था। यंहा ज्यादा अधिक घर नही थे और ना ही ज्यादा सरकारी कार्यलय लेकिन फिर भी रामपुर काफी शांत और खूबसूरत प्रतीत होता था। हम अवध असम एक्सप्रेस से सुबह वंहा पहुंच गए थे। हमने रवि शंकर के घर तक एक तांगा लिया। वह ताँगा वाला निरन्तर कुछ ना कुछ बोल रहा था और मै उसकी कस्बाई बातो में काफी रुचि ले रहा था। मुझे गांव में होने वाले किस्से कहानियां सुनने का काफी शौक था। लेकिन करुण अपनी आंखों को बंद किये ताँगे में सो रहा था। अब तांगा कस्बे के बीचों बीच से निकल रहा था। मिट्टी के और कुछ पक्के मकान बने हुए थे। 

तुम्हे उठकर इन घरों की सुंदरता का आनंद लेना चाहिए और इन कस्बो की शांति का लाभ उठाना चाहिए! मेने करुण की तरफ देखते हुए कहा। जिसकी अब आंखे खुल गई थी।

मेरे प्यारे मित्र एक डिटेक्टिव होने के नाते मैं ऐसे कस्बो में गहरे संगीन वारदातों की आवाजें महसूस कर रहा हूँ। जरा सोचो शहर में तो लोगो को वारदात से बचाने के लिए पुलिस तत्पर है लेकिन यंहा पुलिस कई कोस दूर रहती है! करुण ने एक  सांस छोड़ते हुए कहा।

कुछ ही देर में ताँगे वाले ने हमे उसके घर के बाहर हमे उतार दिया। वह एक विशाल फार्म हाउस था। जंहा काफी मुर्गी और बतखे थी। घर के बाहर एक बहुत सुंदर कुंड बनाया हुआ था जिसमे रंग बिरंगी मछलियां भी थी। घर के बगल में आम का पेड़ था। घर के बाहर एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति हमारा इंतज़ार कर रहा था। उसने हमें देखकर एक मुस्कान के साथ हमारा स्वागत किया।

कैसो हो मेरे मित्र प्यारे करुण! रवि ने करुण से हाँथ मिलाते हुए कहा।

मै अच्छा हूँ मित्र! करुण ने हाँथ मिलाते हुए जबाब दिया।

ये मेरे मित्र और मेरे साथी सुजान चटर्जी है! करुण ने मेरी तरफ देखकर मेरा परिचय रवि से करवाया।

आपसे मिलकर अच्छा लगा मिस्टर चटर्जी! रवि ने एक मुस्कान के साथ कहा।

तो आप किन अजीब घटनाओं के बारे में कह रहे थे? करुण ने रवि की तरफ देखते हुए पूछा।

आइये अंदर आ जाइये फिर मै आपको विस्तार से इस घटना के बारे में जानकारी दूंगा! रवि इतना कहकर घर के अंदर चला जाता है।

हम सभी एक कमरे में बैठे हुए थे। जंहा चिमनी में आग चलाई हुई थी और करुण एक कुर्सी पर विराजमान था। 

ये तीन दिन पहले की बात है यंहा पास में एक कब्रिस्तान  है जो कि यंहा के ईसाई लोगो दुवारा बनाया गया था। जंहा पर मुर्दों को गाड़ा जाता है। लेकिन तीन पहले ही उस कब्रिस्तान में एक कब्र को खुदा हुआ पाया। चौकीदार का कहना है कि वह जब सुबह कब्रिस्तान में प्रवेश किया तब उसने ये घटना देखी कब्र से लाश गायब थी और यही नही उसके बाद दो लाशें और गायब हो गई है। और यह वो लाशें है जो कि हाल ही में गाढ़ी गई थी। स्थानीय इसाई लोगो का मानना है कि यह किसी पिशाच का काम है। मेरे एक ईसाई मित्र जिसका नाम रॉनी है के पिता की लाश भी गायब है इसलिए मैने आपको उसकी मदद के लिए बुलाया है। कुछ लोगो का मानना है कि ये किसी की साजिश है जिससे ईसाई लोग यंहा से चले जाएं! रवि ने घटना की जानकारी देते हुए कहा।

क्या मै तुम्हारे मित्र और उस कब्रिस्तान का निरीक्षण कर सकता हूँ? करुण ने कुछ सोचते हुए कहा।

जी जरूर कल आप कब्रिस्तान में चल सकते है वंही पर रॉनी भी मिल जाएगा मै उसको आज शाम को ही सूचित कर दूंगा! लेकिन आप जब तक आराम कीजिये और किसी भी तरह की जरूरत हो आप मेरे नॉकर से कह सकते है! रवि इतना कहकर कमरे से बाहर चला जाता है।

ये केस तो काफी पेचीदा है! मुर्दों की गुमशुदगी तो मैने पहली बार सुनी है! मैने अजीब नजरो से करुण को देखा।

लेकिन करुण एक अखबार पढ़ने में व्यस्त था।

तुम क्या पढ़ रहे हो? मैने करुण को देखते हुए पूछा।

मुर्दों की गुमशुदगी की खबर इस स्थानीय अखबार में छपी हुई है बाकी अगर हम इसके दूसरे पृष्ठ पर देखे तो कुछ गहने चोरियों की खबरे छपी हुई है! करुण ने अखबार को मोड़ कर दूसरी तरफ रखते हुए कहा।

तो तुम्हे क्या लगता है कोई मुर्दे क्यो चुराएगा? वो भी हाल के? मैने करुण की तरफ देखते हुए पूछा।

ये पिशाच का काम तो नही हो सकता है बाकी बची ईसाइयों के खिलाफ योजना के तो मुझे वो तो कब्रिस्तान देखकर ही समझ आएगा! करुण इतना कहकर बिस्तर पर सो जाता है।

अगले दिन मै और करुण सुबह तड़के ही कब्रिस्तान की तरफ निकल गए वंही पर रवि ने हमे रॉनी से मिलवाया वो बिल्कुल किसी फुर्तीला नोजवान जैसा था। उसने तुंरन्त ही गर्मजोशी से करुण से हाँथ मिलाया। 

आपसे मिलकर काफी अच्छा लगा मिस्टर नायर आपके बारे में काफी सुना था। ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे आपसे मिलने का अवसर प्राप्त हुआ! रॉनी ने कहा।

मुझे भी एक एथलीट खिलाड़ी से मिलकर अच्छा लगा जो कि जो कि घोंघा खाने का शौकीन है और जिसके पिता पोलैंड के वॉरसॉ के रहने वाले है। यही नही तुम लिली के पौधों की एक खूबसूरत बगीचे के शौकीन भी हो! करुण ने कहा।

अरे वाह मिस्टर नायर! आपने जो भी कहा वह एकदम सही है लेकिन आपने ये चमत्कार कैसे किया जबकि आप तो मुझसे पहली बार मिल रहे है? रॉनी ने चोंकते हुए पूछा।

इंसान एक किताब की तरह है अगर आप उसके पहले पेज पर लिखी कहानी की पृष्ठभूमि समझ लो तो आप पूरी किताब के बारे में बिना पढ़े भी पता लगा सकते है! जैसे की आपके जूत्ते आगे की तरफ से नुकीले है जो कि अक्सर अपने पैरों को मिट्टी में धासने के लिए प्रयोग में लाये जाते है। ऐसे जूत्ते हमेशा दौड़ लगाने वाले खिलाड़ी ही पहनते है इससे ये साबित होता है कि आप एथलीट है। आपके बात करने के दौरान मुझे घोंगे की गंध आई लेकिन इसमें आपकी गलती नही है घोंगे कि गन्ध इतनी आसानी से नही जाती है। घोंघे को अक्सर खाने का शौक पोलैंड के वॉरसॉ के होते है रामपुर में घोंघा नही मिलता और फिर भी आपके इसको दूसरे शहर से लाकर पकाना ये साबित करता है कि आपके पिता जरूर पोलैंड के वॉरसॉ के रहने वाले होंगे खैर जब मैने आपसे हाँथ मिलाया तब आपके हाँथो से लिली के फूलों की गन्ध आई जिससे ये जानना आसान हो गया कि आप लिली के फूलों का शौक रखते है! करुण ने इतना कहकर कब्रिस्तान के अंदर चला जाता है।

रवि और रॉनी स्तब्ध होकर खड़े हुए थे। मानो उन्हें समझ नही आ रहा था कि कोई इतने छोटे व्यक्तित्व घटनाओं को देखकर इतने सटीक परिणाम भी निकाल सकता है। मै करुण के साथ कब्रिस्तान के अदंर चला गया। करुण तीनो कब्रो को बढ़ी ध्यान से देख रहा था। वह कभी कब्र के अंदर जाता तो कभी बाहर आकर कब्र की मिट्टी को छूता फिर अलग खड़ा होकर एक गहरी बेचैनी में खो जाता तभी बाहर कुछ आवाजे सुनाई देती है। इसलिए मैं और करुण कब्रिस्तान से बाहर आ जाते है।

बाहर एक पुलिस वाला खड़ा था। वह लम्बी कद काठी का था। उसकी पास एक डंडा था और पेंट की जेब मे बन्दूक फँसाई हुई थी।

ये मेरा सौभाग्य है कि आप इस केस को सुलझाने के लिए यंहा आये है मिस्टर नायर मेरा नाम राकेश नूनीवाल है और मै इस कस्बे का पुलिस अधीक्षक हूँ।

मुझे आपसे मिलकर अच्छा लगा राकेश जी! करुण ने एक मुस्कराहट के साथ जबाब दिया।

तभी एक मोटा आदमी एक गाड़ी से उतरता है। उसने काला कोट पहना हुआ था साथ मे पतलून जेब मे एक महंगी घड़ी थी और गले मे सोने की चैन मानो वह कोई अमीर वर्ग का व्यक्ति था। उसकी आंखें लाल थी और गाल फड़फड़ा रहे थे। मानो वह गुस्से में हो। वह आते ही पुलिस अधीक्षक पर टूट पड़ता है।

मेरी पत्नी का हार खोए हुए तीन दिन हो चुके है और आपने अब तक उसकी कोई खबर नही की है! उस व्यक्ति ने गुस्से में होते हुए कहा।

देखिए जॉन बाबू हम पूरी कोशिश कर रहे है कि आपकी पत्नी का हार जल्दी ही मिल जाये! राकेश ने कहा।

कब लेकिन जब मेरी पत्नी घर वापस आ जायेगी तब? तुम्हे पता नही है कि मेरी पहुँच कँहा तक है इसलिए अभी जाओ और ढुंढो उसे! जॉन गुस्से में कहता है जिसे सुनकर राकेश चला जाता है।

मिलिए ये हमारे ईसाई समुदाय के नेता और सचिव जॉन केरी है! रॉनी ने करुण को जॉन से मिलवाते हुए कहा।

मुझे आपसे मिलकर खुशी हुई मिस्टर जॉन! करुण ने मुसकराते हुए कहा।

करुण को देखकर जॉन का गुस्सा एकदम से गायब हो जाता है। उसका चेहरा शांत हो चुका था।

अगर मै गलत नही हूँ तो आप वही मशहूर डिटेक्टिव करुण नायर है? जॉन ने चोंकते हुए कहा।

जी मै यंहा मुर्दों की गुमशुदगी का रहस्य खोज रहा हूँ! करुण ने कब्रो की तरफ देखते हुए कहा।

मै ईश्वर से प्राथना करूँगा की आप जल्दी ही इस रहस्य को सुलझा ले! जॉन ने अजीब नजरो से देखते हुए कहा।

तभी गाड़ी से एक लड़की जिसने एक साड़ी डाली हुई थी और बालों को बांधा हुआ था। ये अंदाजा लगाना आसान था कि वह जॉन की निजी सहायक थी।

सर आपको एक मीटिंग में जाना है! उस लड़की ने जॉन से कहा।

जी जरूर मैरी! जॉन इतना कहकर उस लड़की के साथ गाड़ी में वापस बैठ जाता है और गाड़ी पगडंडियों का रास्ता पकड़ते हुए चली जाती है।

करुण और मै भी इस थके हुए दिन के बाद वापस रवि के साथ उसके फार्म हाउस लौट आये थे। शाम का खाना खाकर हम अपने कमरे में आ गए। रात के 1 बज रहा था तभी मुझे करुण की आवाज सुनाई दी।

सुजान! करुण ने हल्की आवाज में कहा।

मैने अपनी आंखें खोली तो सामने करुण अपने डिटेक्टिव वाले कपड़े पहने हुए था।

तुम कंही जाने वाले हो क्या? मैने चोंकते हुए पूछा।

मै नही हम जाने वाले है! करुण ने इतना कहकर खड़ा हो जाता है।

मै भी तुंरन्त ही खड़ा हो गया और अपने कपड़े जल्दी से पहने ये सब इतनी जल्दी हुआ कि मै पूछना ही भूल गया कि हम जा कँहा रहे है। हम दोनों ही चलते हुए उस कब्रिस्तान के सामने पहुँच गए।

सुजान तुम कब्रिस्तान के बाहर छुपकर बैठ जाओ। हो न हो वह मुर्दे चोरी करने वाला इस रात भी कोई मुर्दा चोरी करने कब्रिस्तान ज़रूर आएगा! करुण इतना कहकर जाने लगता है।

तुम कँहा जा रहे हो? मैने चोंकते हुए पूछा।

मुझे एक बेहद जरूरी काम से कस्बे के बीचों बीच घूमना है! इतना कहते ही करुण गलियों में ही गायब हो गया। 

मैने सुबह तक वंहा पर अपनी टकटकी लगाए रखी। भले ही मुझे नींद आ रही थी लेकिन मेने अपनी आंखें बंद नही की क्योंकि मुझे यही लगता रहा कि अगर मेरी आँख लग गई और वो चोर फिर मुर्दे को ले गया तो ये मेरी बेज़्ज़ती होगी। लेकिन जब सुबह हो गई तो मै थका हुआ वापस आ गया और रवि के साथ सुबह का नाश्ता करने लगा। लेकिन अब तक सुबह के बारह बज चुके थे और अभी तक करुण नही आया था। अब हम दोनों को चिंता होने लगी थी की कंही करुण किसी मुसीबत में तो नही फंस गया इसलिए रवि और मैने चाय पीने के बाद कस्बे में करुण को ढूंढने की योजना बनाई। जैसे ही हम दोनों ने अपनी चाय खत्म कि तभी करुण घर मे प्रवेश करता है। वह लड़खड़ा रहा था। मानो वह थक गया हो। वह गिरता पड़ता एक कुर्सी पर निढाल हो जाता है। 

तुम ठीक तो हो करुण बाबू! रवि ने घबराते हुए कहा।

मैने जल्दी से पानी का एक गिलास भरकर करुण को दिया जो कि करुण एक बार मे ही पी कर खत्म कर देता है और जल्दी से मेज पर रखे हुए बिस्कुट को भी खाने लगता है फिर एक गिलास ओर पानी पीकर आराम से कुर्सी पर गिरा रहता है।

क्या तुम्हें कुछ पता चला? मैने करुण को अजीब नजरो से देखते हुए पूछा।

हाँ शाम पांच बजे हमारा असली अपराधी जो कि मुर्दों को कब्रो से निकाल कर छुपा रहा है! इतना कहकर वापस करुण अपनी आंखें बंद कर लेता है।


शाम होते ही हम दोनों करुण के साथ पांच बजने का इंतज़ार करने लगे। तभी कमरे में जॉन केरी प्रवेश करते है और हम सभी को एकटक देखते है। उनके माथे पर पसीना था मानो वह खुद को दोषी मान चुके हो लेकिन अभी तक मै और रवि नही समझ पा रहे थे कि आखिर जॉन और मुर्दों की गुमशुदगी से क्या जुड़ाव हो सकता है तभी जॉन ने अपनी आवाज से हमारा ध्यान खींचा।

क्या मेरा हार आपके पास है मिस्टर नायर? जॉन ने करुण को घूरते हुए कहा।

जी बिल्कुल मेरे पास है लेकिन उस हार को वापस आपको लौटाने से पहले आप पहले यह कबूल कर की आपने ही कब्रिस्तान में कब्रो को खोदकर उन मुर्दों को चुराया था! करुण इतना कहकर अपनी आरामदायक कुर्सी पर बैठ जाता है।

जॉन समझ चुका था कि अगर उसने सच नही बोला तो करुण उसे उसका हार कभी नही बताएगा इसलिए वह हल्के से हां में सिर हिला देता है।

क्या! रवि और मै एक साथ चोंकते हुए कहते है।

लेकिन आपने ऐसा क्यो किया? रवि ने जॉन की तरफ देखते हुए कहा।

ये मै आप लोगो को बताता हूँ दरअसल तीन दिन पहले जब जॉन अपने घर के ऊपर वाले कमरे में अपनी प्रेमिका या यूं कहूँ कि उनकी निजी सहायक को अपनी पत्नी का हार पहना रहे थे तब गुस्से में उनकी प्रेमिका ने हार में हाँथ मार दिया जिससे वो हार खिड़की से बाहर चला गया। घर के नीचे से उस दिन रॉनी के पिता को कब्रिस्तान ले जाया जा रहा था और वह हर उसी कब्र में गिर गया। लेकिन जब खिड़की से नीचे जॉन ने देखा तो वह समझ नही पाए कि वह किस व्यक्ति का जनाजा था इसलिए उन्होंने अपने इस महँगे हार को वापस पाने के लिए पता लगवाया की उस दिन कितने लोग कब्रिस्तान में गाड़े गए थे। फिर उन्होंने रात को जाकर कब्र खोदकर अपना हार ढूंढने की कोशिश की लेकिन जब उन्हें हार तब भी नही मिला तो इन्होंने सोचा कि हो सकता है इनका हार किसी लाश के मुंह मे चला गया हो जिसके चलते इन्होंने तीनो मुर्दे चुराकर अपने घर ले आये और चीड़फाड़ करके ढूंढा लेकिन हार फिर भी ना मिलने पर इन्हें पूरा भरोसा हो गया कि हार कंही रास्ते मे गिर गया होगा इसलिये ये उस दिन फिर पुलिस पर दबाब डालने लगे कि वह हार उन्हें ढूंढ कर दे। क्यो मैने सही कहा मिस्टर केरी? करुण ने एक गुस्से भरी नजर से जॉन को देखते हुए पूछा।

जी आप बिलकुल सच कह रहे है ऐसा ही हुआ था! जॉन ने अपना सिर नीचे करते हुए कहा।

लेकिन तुम्हे इस घटनाक्रम के बारे में कैसे पता चला? रवि ने चोंकते हुए पूछा।

मै जब उस शाम कमरे में बैठकर सुजान के साथ अखबार पढ़ रहा था तब उस अखबार के एक पृष्ठ पर मुर्दों की गुमशुदगी और दूसरी तरफ कुछ चोरियों की खबर छपी थी तभी मेरी नजर एक हार के चोरी हो जाने को खबर पर पड़ी क्योंकि वह हार दो लाख रुपयों का था और इससे ये तो स्पष्ट होता है कि कोई भी इतने महयँगे हार के लिए तो कत्ल तक कर सकता है। खैर मुझे जॉन पर शक तब हुआ जब मैने पहली बार जॉन को कब्रिस्तान के बाहर पुलिस वाले को धमकाते हुए देखा था ईसाई समुदाय के सचिव होने के नाते उनका कर्तव्य बनता है कि वह पहले उन मुर्दों की गुमशुदगी के बारे में पुलिस पर दबाब डालते लेकिन उन्हें उस हार की ज्यादा चिंता थी। जॉन के हाँथ किसी नुकली चीज़ से छिले हुए थे ये तब होता है जब आप सूक्ष्म औजार से काम कर रहे हो। हो सकता है ये घाव लाश को चीरने के समय आये हुए हो। इनके कोट के आस्तीन में मिट्टी लगी थी जो कि उसी कब्रिस्तान की थी। जब वह वापस गाड़ी में बैठे तब मैंने देखा कि जॉन ने अपनी सहायक का हाँथ पकड़ रखा है जिससे मुझे ये जानने में बिल्कुल भी कठिनाई नही हुई की इन दोनों में प्रेम सम्बन्ध है। मै वापस जब कब्रिस्तान गया तो मुझे हार मिल भी गया लेकिन फिर भी मुझे उन मुर्दों का पता लगाना था कि आखिरकार वह मुर्दे कँहा पर रखे हुए है इसके लिए मैने सुजान को कब्रिस्तान के बाहर छोड़कर जॉन के घर की तरफ गया मैने कुछ आवाजे सुनी इसलिए मै एक खम्भे के सहारे खिड़की से जॉन के घर मे झांकने लगा जिससे मुझे उस दिन के बारे में सबकुछ पता चल गया क्योंकि वो दोनों उसी दिन की बात पर लड़ रहे थे। मै खम्भे से ऊपर छत पर गया और छुपकर इनके घर की तलाशी ली तब मुझे एक कमरे में तीनों मुर्दों का भी पता चल गया फिर मै वापस आया तब तक सुबह हो चुकी थी। इसलिए मै चिठ्ठी दफ्तर गया और जॉन के नाम चिठ्ठी लिखी की आपका हार मेरे पास है कृपया शाम के पांच बजे आप इस पते पर आ जाये और उसके बाद का तुम सबको मालूम ही है! करुण ने एक सांस में पूरा विस्तृत वर्णन करते हुए कहा।

मुझे माफ़ कर दीजिए मिस्टर नायर! मै अपने किये पर शर्मिंदा हूँ आज रात ही वापस मै सभी मुर्दों को उनकी जगह रख दूंगा! जॉन ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

तुमने ना सिर्फ लोगो की भावनाओ के साथ खेला है बल्कि एक सचिव होने के नाते भी अपने ही लोगो के साथ गलत किया है तुम्हे सजा जरूर मिलनी चाहिए! रवि ने गुस्से में खड़े होते हुए कहा।

मिस्टर नायर मेरी स्तिथि को समझाइए मैने गुनाह जानबूझ कर नही किया! इतना कहकर जॉन रोने लगता है।

ये लो अपना हार और भाग जाओ यंहा से की इससे पहले मै कुछ गलत कर बैठु! करुण ने जॉन का हार उसे देते हुए फटकार लगाई।

आप बहुत दयालु है मिस्टर नायर! इतना कहकर जॉन खड़ा हो जाता है और तुंरन्त ही घर से बाहर चला जाता है।

तुमने उसे ऐसे ही क्यो जाने दिया? रवि ने करुण से चोंकते हुए पूछा।

हमारा लक्ष्य आपराधिक सोच को खत्म करना है ना कि अपराधी को। मुझे लगता है कि कुछ मामूली वारदात को बिना सजा दिए भी हम किसी अपराधी को सुधरने का मौका दे सकते है। अगर यह इस मामूली अपराध की सजा पाता तो हो सकता है कि वह आगे जाकर बढ़े अपराध को भी जन्म दे देता! इतना कहकर करुण अपनी चाय को पीता हुआ कुर्सी पर बैठ जाता है।

रवि एक मुस्कान के साथ करुण को देखता है। कुछ दिन रवि के घर पर रहने के बाद हम वापस चांदनी चौक हनुमान गली आ गए। कुछ दिनों बाद हमे रवि की चिठ्ठी प्राप्त हुई जिसमें लिखा था 


“प्रिय मित्र करुण,

मेरे आम के बाग में ढेर सारे आम लगे है जिनमे से मै कुछ चुनींदा स्वादिष्ट आम तुम्हारे और तुम्हारे साथी सुजान के लिए भेज रहा हूँ। मुझे आशा है कि तुम्हे ये छोटी सी भेंट स्वीकार करने में कोई तकलीफ नही होगी। 

तुम्हारा मित्र रवि


करुण आमो की पेटी की तरफ देखकर मुस्करा देता है। और मै उस चिठ्ठी की वास्तविक स्वरूप के बारे में सोच रहा था। 

क्या सोच रहे हो मेरे प्यारे बंगाली पंडित? करुण ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा

एक इंसान का अंतिम लक्ष्य क्या होता है करुण? मैने तापक से पूछा।

एक इंसान की शुरुआत ही उसका अंतिम लक्ष्य होता है मेरे प्यारे मित्र! करुण इतना कहकर अपनी आंखें बंद कर लेता है।

मै उसकी इस गूढ़ रहस्यमयी बात से एक सोच में डूब जाता हूँ।


कहानी समाप्त…


लेखक – पवन सिंह सिकरवार


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