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करुण नायर - नीले परिंदे का रहस्य

 




अध्याय - 1 कहानी की शुरुआत


जून 71’ की शुरुआत हो चुकी थी। मेरा और करुण की मुलाकात कम से कम एक महीने से नहीं हुई थी क्योंकि मै अपनी वकालत की परीक्षा देने में व्यस्त था लेकिन एक दिन गर्मी की दोपहर में मै वापस हनुमान गली आ गया लेकिन जब मेने अपने कमरे में प्रवेश किया तो करुण एक अजीब सी किताब पढ़ने में व्यस्त था। उस समय उसका सारा ध्यान अपनी किताब पढ़ने में केंद्रित था। इसलिए मुझे लगा की उसने मुझे आते हुए नहीं देखा होगा और मै यही सोचता हुआ एक  सोफे पर बैठे गया 


तुम अपनी चाय पी सकते हो अगर वो ठंडी ना हो गई हो तो! करुण ने अपना ध्यान किताब पढ़ते हुए कहा


मैने मेज पर देखा तो वंहा सच में चाय रखी हुई थी जो  की गर्म थी इसलिए मै उसे पीने में व्यस्त हो गया और करुण कुछ देर बाद अपनी किताब दूसरी तरफ रखकर एक शांत अवस्था में बैठ गया


तुम कौनसी किताब पढ़ रहे थे? मैने चौंकते हुए पूछा


ये एक परिवारिक लड़ाई से जुडी कहानी थी! करुण ने उत्तर दिया


पारिवारिक लड़ाई लेकिन क्यों होती है ? मैने एक सोच के साथ पूछा


इतिहास गवाह है की पारिवारिक कलेश की सिर्फ तीन वजह रही है जायदाद, औरत और पैसा! करुण ने हँसते हुए कहा। 


लेकिन क्या तुम भी यही मानते हो? मैने करुण की सोच परखने के लिए पूछा। 


मेरा ऐसा मानना नहीं है क्योंकि पारिवारिक कलेश पुरुष की इच्छा पर निर्भर करता है पुरुष जायदाद की वसीयत बनाकर, ख़राब औरत का त्याग करके और पैसे को निरंतर भोग करके सभी पारिवारिक कलेश से बच सकता है लेकिन जब पुरुष अपनी पत्नी की इच्छापूर्ति और भाइयो से ईष्र्या और पैसो को अपने स्वार्थ के लिए इक्क्ठा करने लगता है तब पारिवारिक कलेश का जन्म होता है सही मायनो में पारिवारिक कलेश की मुख्य वजह परिवार का पुरुष ही है! इतना कहकर करुण अपनी चाय का एक घूंट ले लेता है। 


तभी कमरे का कोई दरवाजा खटखटता है। मैने उठकर जल्दी से दरवाजा खोला तो एक शाही भेषभूसा में एक व्यक्ति खड़ा था। 


हमारे अतिथि को सुजान आदर पूर्वक बैठने को  कहो! करुण ने मुस्कराते हुए कहा


जी बैठ जाइये! मेने एक आदरसत्कार रूप में कहा


धन्यवाद! उस अतिथि ने बैठते हुए कहा


जी बताइये क्या काम है? करुण ने प्रश्नवाचक चेहरे से पूछा


दरअसल मेरा नाम धर्म सिंह है कल मेरे चाचा राजा हरि सिंह ने अपने महल में एक पारिवारिक दावत का आयोजन किया था। सभी लोग एक कमरे में थे वंहा सिर्फ हमारे परिवार और परिवार से जुड़े हुए ही लोग थे मेरा चाचा एक नंबर का कमीना इंसान था! धर्म इतना कह ही रहा था तभी मैने बीच में टोका 


क्या कृपया बता सकते है की कौन कौन लोग थे उस दावत में? 


सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री माया जो तबसे हमारे परिवार से जुडी थी जब मेरे चाचा हरी सिंह ने एक फिल्म में उसे फीमेल लीड रोल दिया था दूसरे है रिटयर्ड कर्नल जसविंदर और उनका बॉडीगॉर्ड कुलदीप वो दोनों भी थे कर्नल ने एक बार मेरे चाचा की जान बचाई थी तबसे वह उनके साथ ही रहने लगे सेनापति बनकर, तीसरा था ब्रिटेन से आये मेरे दूर चेचरे भाई जो की पोलो में एक बहुचर्चित नाम था। साथ ही मेरे चाचा के एक दोस्त अमित राणा जो की एक व्यापारी है, फिर उनके सगे बेटे सुधीर और आखिरी हूँ मै, जो वंहा था। 


लेकिन आपने कहा की आपके चाचा एक कमीने इंसान थे ऐसा क्यों? करुण ने चौंकते हुए पूछा। 


क्योंकि मेरी पत्नी को अपने पैसो के लालच में फंसा कर उसने मेरा तलाक करवा दिया और मेरी पत्नी से खुद ने शादी कर ली! इतना कहकर धर्म की आंखे लाल हो चुकी थी 


तो फिर उस दावत में फिर आपकी पत्नी भी होंगी अपने नए पति हरी सिंह के साथ? मैने अपनी हंसी दबाते हुए पूछा।

जी हाँ! वह भी दावत में थी। 

लेकिन एक दावत के बारे में बताने के लिए तो तुम यंहा नहीं आये होंगे तो कृपया मुद्दे की बात बताये? करुण अब अपनी कुर्सी पर पीछे सट गया था। 


दरअसल ये पार्टी हम सबके लिए एक बुरा सपना बनने वाली थी क्योंकि जब मेरे चाचा हरी सिंह ने सबको ये बताया की आज की दावत के बाद उनकी सारी जायदाद की हकदार उनकी पत्नी यानि की मेरी सबसे बढ़ी दुश्मन रुक्मा को देने वाले थे। जिससे नाराज होकर माया उस कमरे से बाहर चली गई थी और जब चाचा ने अपने जन्मदिन का जब केक काटा और रुक्मा ने जब उन्हें वह केक खिलाया तभी कमरे की लाइट चली गई और चारो तरफ एक अँधेरा हो गया तभी हम सभी को एक नीला परिंदा उड़ता हुआ दिखाई दिया और देखते ही देखते नीला परिंदा गायब हो गया और तभी रौशनी आई तो चाचा नीचे गिरे पड़े हुए थे और उनके मुंह से झाग निकल रहा था शौर सुनकर माया भी कमरे में आ गई लेकिन सभी एक ख़ुशी में डूब गए सिवाए मेरी ख़राब पत्नी के क्योंकि उसको तो उसके किये की सजा मिलने ही थी लेकिन इससे एक अच्छी चीज़ ये हुई की वह वसीयत पर हस्ताक्षर नहीं कर पाए थे! धर्म की आँखों में चमक साफ़ दिखाई दे रही थी। 


तो तुम्हे खुश होना चाहिए फिर तुम मेरे पास क्यों आये हो? करुण ने खड़े होते हुए कहा


नहीं, करुण साहब दरअसल सारी सम्पति मेरे चेचरे भाई और हरि सिंह के सगे बेटे सुधीर को मिल रही है लेकिन मुझे पूरा विश्वास की खून चाचा का सुधीर ने ही किया है क्योंकि सबसे ज्यादा फायदा उसी को होने वाला था बस आप किसी भी तरह से ये साबित कर  दीजिये फिर आप जो चाहेगे मै आपको उतनी रकम दूंगा! धर्म ने एक उत्साह के साथ कहा


शायद  तुम्हे  पता नहीं है की मै पैसे के लिए काम नहीं करता हूँ इसलिए मै अपनी पसंद के केस चुनने के लिए बाध्य हूँ! करुण इतना कहकर अपना अखबार उठा लेता है। 


लेकिन आपको ये समझना होगा मिस्टर नायर की यंहा बात सिर्फ पैसो की नहीं है बल्कि किसी के क़त्ल की भी है! धर्म ने उदास होते हुए कहा। 


ठीक है मै इस केस पर काम करूँगा लेकिन मेरी शर्त है की जब तक ये केस में सुलझा नहीं लूंगा तब तक तुम इस केस से मुझे नहीं हटाओगे! करुण इतना कहकर अपना अख़बार नीचे रख देता है। 


ठीक है मिस्टर नायर मुझे मंजूर है! धर्म इतना कहकर ये बात लिखित में देता है। 


कल हम आपके भागलपुर के महल में आएंगे! इतना कहकर करुण खड़ा हो जाता है और धर्म को दरवाजे तक छोड़ने जाता है। 


तुम्हे क्या लगता है खुनी क्या सच में सुधीर ही होगा? मेने चौंकते हुए पूछा। 


नहीं! अगर मेरा अनुमान गलत नहीं है तो जब तक हम भागलपुर पहुंचेंगे तब तक सुधीर को भी किसी ने मौत के घाट उतार दिया होगा इसलिए हमे जल्दी करनी होगी अपना सामान लगा लो कल ही हम भागलपुर के लिए रवाना होंगे! इतना कहकर करुण कमरे से बाहर चला जाता है। 


कुछ ही समय में हम दोनों भागलपुर पहुँच गए और तांगा पकड़कर उनके महल को रवाना हुए ये महल काफी बड़ा था महल के मुख्य दरवाजे पर ही 

धर्म हमारे स्वागत के लिए खड़ा हुआ था। करुण की नजर महल पर थी। जैसे ही हम दोनों तांगे से नीचे उतरे तभी धर्म ने उदासी भरे स्वर में कहा 

“सुधीर ने आत्महत्या कर ली है मिस्टर नायर”


मै ये सुनकर एकदम से चोंक गया लेकिन करुण के चेहरे पर शून्य के भाव थे। 

क्या मै लाश को देख सकता हूँ? करुण ने अजीब नजरो से धर्म को देखते हुए कहा।


जी जरूर! इतना कहकर धर्म हमे एक कमरे में ले जाता है जंहा पर पहले से ही पुलिस मौजूद थी और फोरेंसिक टीम जरूरी सबूत ढूंढने में व्यस्त थी। लाश एक कुर्सी पर बैठी हुई थी और उसका सिर सामने वाली मेज पर गिरा हुआ था। बांये हाँथ की तरफ चाकू था और दांया हाँथ की नस काटी गई थी। खून ज्यादा बाह जाने की वजह से तुरन्त सुधीर की मौत हो चुकी थी। 

पुलिस इंस्पेक्टर ने करुण को देखते ही मुस्कराते हुए कहा।


तो मशहूर डिटेक्टिव करुण नायर भी यंहा मौजूद है! 


हाँ एक महल में दो लोगो का खून हो गया और पुलिस के हाँथ जब कुछ ना लगा हो तो मुझे सरकार की मदद करने आना ही पड़ता है! करुण ने एक मुस्कान के साथ कहा।


लेकिन इस जबाब से इंस्पेक्टर चिढ़ गया था। 


दरअसल ये खून साफ है सुधीर अपने पिता को ज्यादा पसंद नही करता था इसलिए पहले उसने अपने पिता का खून किया और फिर उसने आत्महत्या कर ली ये देखिए उसने एक चिट्ठी भी लिखी है! इतना कहकर सुधीर ने मेज पर से जो कि सुधीर के दांये तरफ रखी ही थी उठाकर करुण को पकड़ा दी।


करुण ने हल्के स्वर में पढ़ा “मेरे पिता का खून मैने किया है भगवान मुझे माफ़ करे” 


तो अब क्या कहना चाहेंगे मिस्टर नायर? इंस्पेक्टर ने अपनी एक फ़ाइल उठाते हुए कहा।


बस यही की ये एक आत्म हत्या नही बल्कि एक खून है! इतना कहकर करुण लाश को अजीब नजरो से देखता है।


सभी इस जबाब से चोंक्त जाते है और एक साथ पूछते है “लेकिन मिस्टर नायर आप ये बात कैसे कह सकते है? 


बहुत स्पष्ट प्रमाण है जैसे कि लाश को ध्यान से देखा जाए तो सुधीर ने अपना बांये हाँथ से दांया हाँथ काटा है जबकि ज्यादातर ऐसे केस में लोग दांये हाँथ से काम करते है इसलिए वो अपना बाँया हाँथ काटते है! करुण ने खड़े होते हुए जबाब दिया।


लेकिन अगर वो बांये हाँथ से ही काम करता हुआ तो? मैने चोंकते हुए पूछा।


अच्छा सवाल है सुजान चटर्जी लेकिन इंस्पेक्टर ने वो चिठ्ठी दांयी तरफ से उठाई है और कलम भी मेज पर दांयी तरफ ही पडी हुई है इसलिए ये कहना सही होगा कि सुधीर दांये हाँथ से ही काम करते होंगे! करुण ने मुस्कराते हुए जबाब दिया।


लेकिन ऐसा भी तो हो सकता है कि सुधीर सिर्फ लिखता दांये हाँथ से हो बाकी के काम बांये हाँथ से करता हो? धर्म ने चोंकते हुए पूछा।


वैसे इस बात के अनुमान काफी कम है लेकिन अगर इस सूक्ष्म तथ्य को भी मान लिया जाए तो भी हमे घाव पर ध्यान देना चाहिए अगर कोई अपनी नस काटने की कोशिश करेगा तो एक या दो बार के कट से ही वह मर जायेगा लेकिन सुधीर के हाँथ पर चार से पांच बार घाव दिए गए शायद ये तब हुए होंगे जब सुधीर की नस काटने की कोशिश की जा रही होगी और वह अपना हाँथ हिलाकर बचना चाहता होगा! इतना कहकर करुण कमरे से बाहर चला जाता है। 


मै और धर्म भी बाहर आ जाते है और आसमान की तरफ देखने लगते है। दोपहर की धूप निकली हुई थी। 


मै घर के अन्य सदस्यों से मिलना चाहता हूं? करुण ने धर्म की तरफ देखते हुए कहा।


ठीक है अभी आप अपने कमरे में आराम कीजिये फिर शाम के खाने के समय मै आपका परिचय करवा दूंगा! इतना कहकर धर्म ने एक नोकर को हम दोनों को एक कमरे में ले जाने का इशारा किया।


हम दोनों चुपचाप अपने कमरे में आ गए जो कि काफी अच्छा सजाया गया था और शायद ये मेहमानों के रुकने का कमरा था।


करुण चुपचाप एक आराम कुर्सी पर बैठ गया। और मै भी बिस्तर पर जाकर लेट गया क्योंकि मै काफी थक चुका था।


अगर खून सुधीर ने नही किया तो फिर खून कौन कर सकता है? मैने एक अजीब नजरो से करुण को देखते हुए पूछा।


मैने कब कहा कि सुधीर ने खून नही किया। खून तो सुधीर ने ही किया है लेकिन उसके साथ काफी लोग इस हत्याकांड में मिले हुए थे क्योंकि कमरे में अचानक से लाइट चली जाना और चमकता हुआ नीला परिंदा उड़ता हुआ दिखना ये काफी चोकाने वाले तथ्य है फिलहाल तो शाम को घर वालो से मिलकर पता चलेगा! करुण इतना कहकर कुछ लिखने लगा। 


लेखक - पवन सिंह सिकरवार 


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