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Showing posts from 2019

Interview with Author shikha shrivastav

  INDIAN PAPER INK Publishing Interview   Name –  शिखा श्रीवास्तव Book Name -  खाली फ्रेम  Hobbies and Interest -  किताबे पढ़ना और लिखना  Biographical Info – मेरा नाम शिखा श्रीवास्तव है। मैं हाजीपुर, बिहार की रहने वाली हूँ। मैंने समाजशास्त्र(प्रतिष्ठा) विषय में स्नातक किया है। Favorite Quote -  लेखन और पठन मेरे जीवन के अभिन्न हिस्से है।              Today I’m very lucky to be interviewing Sikho foundation Authors Que 1 :- Hello Sir/Ma’am, thank you for agreeing to this interview. Tell us a little about yourself and your background? Ans :- मेरा नाम शिखा श्रीवास्तव है। मैं हाजीपुर, बिहार की रहने वाली हूँ। मैंने समाजशास्त्र(प्रतिष्ठा) विषय में स्नातक किया है। लेखन और पठन मेरे जीवन के अभिन्न हिस्से है। Que 2 :- Your every readers and me also wanted to know, Do you write every single day?   Ans :-    नहीं, मैं हर दिन नहीं लिखती। लिखना मेरे लिए विचारों के गहरे सागर में डूबकर मोती ढूंढ लाने के बराबर है जिसके लिए मुझे वक्त चाहिए होता है।       

Interview with Author Priyanka kartikey

  I NDIAN PAPER INK Publishing Interview   Name – PRIYANKA KARTIKEY Book Name -   MONIKA - THE MURDER MYSTERY Hobbies and Interest -   singing & dancing & writing & reading books. Biographical Info –   5 fit height,  a mole on face. Favourite Quote -    Honesty is the best policy.              Today I’m very lucky to be interviewing Sikho foundation Authors   Que 1:- Hello Sir/Ma’am, thank you for agreeing to this interview. Tell us a little about yourself and your background? Ans:- hello sir, this is Priyanka Kartikeya. I'm Belong to be a small town "Sohagpur" & I'm a very simple girl same as other girls Que 2:- Your every reader and I also wanted to know, Do you write every single day?   Ans:-    thank you for asking this question to me..no sir, actually it's my passion when I'm free from the daily routine schedule.                                                                              

दहेज - लेखक नितिन अग्रवाल

"क्योँ दहेज हैं समाज मे लालच का मैल,  जिसके साथ मनुष्य खेल रहा हैं खेल, पीस रही उस खेल मे नारी बिचारी, जिसके साथ बरती जा रही अत्याचारी, सपने सजाती गुलाब के फूल से, हो जाते खोखले दीमक के मैल से, क्योँ दहेज हैं समाज मे लालच का मैल !!! शादी के नाम घर से होती हैं बिदाई, ससुराल वाले कहे घर मे बहू हैं आई, सपने संजोती भविष्य मे पति के प्यार के, मिल जाते अत्याचार थपड़ों की पुकार से, क्योँ दहेज हैं समाज मे लालच का मैल !!! तेजाब, केरोसिन बिक रहा बाजार मे खुलेआम, जो छिड़का जा रहा नारियों पर बे-लगाम,  रोको टोको कोई तो इन दरिंदो को दोस्तों, क्या कोई नहीं जीवन मे उनका मोल, क्योँ दहेज हैं समाज मे लालच का मैल !!!! यदि छोड़ सब कुछ आ जाए घर अपने, तो समाज ताने दे दे जीने नहीं देता, चेहरा छुपाए घूमे उस काबिल तक नहीं छोड़ता, क्या यही तक सिमित हैं नारियों का अभिमान, क्योँ दहेज हैं समाज मे लालच का मैल !!!! पैसे की लक्ष्मी की माँग छोड़, कर लो घर की लक्ष्मी का सम्मान, साथ ही साथ देश का ना होगा अपमान, फिर हर कोई कहेगा क्या, दहेज नहीं समाज मे लालच

शरलॉक होम्स और ऑथर कॉनन डॉयल

  शरलॉक होम्स, यह नाम आपने कहीं न कहीं जरूर सुना होगा और यदि नहीं भी सुना है तो भी कोई बात नहीं है दोस्तों, क्योंकि अब समय आ गया है जब हम मि. होम्स के कारनामे सुनेंगे, अ..अ........ मेरा मतलब है कि पढ़ेंगे। शरलॉक होम्स एक ऐसे काल्पनिक किरदार का नाम है जो अपनी अभूतपूर्व तर्क शक्ति, अद्भुत निरीक्षण (observation) क्षमता, साहस और सूझ-बूझ के लिए जाना जाता है। होम्स ने अनेक ऐसी आपराधिक गुत्थियाँ सुलझाईं है जो पुलिस के लिए एक अबूझ पहेली मात्र बन कर रह गई थीं। उनकी विशिष्ट कार्यशैली लोगों को चमत्कृत करके रख देती थी, ठीक एक जादूगर की तरह। इस पात्र की लोकप्रियता का अंदाजा आप केवल इसी बात से लगा सकते हैं की लोग इसे एक काल्पनिक पात्र न मानकर एक जीवित व्यक्ति समझ बैठे थे, और इस कारण उसके नाम के अनेकों पत्र डाक विभाग को मिलने लगे थे जिनमें लोग अपनी समस्याएँ लिखते थे। होम्स के इर्द-गिर्द बुनी गई कहानियों पर कई टेलीविज़न सीरीज और कुछ फिल्म्स भी बन चुकी है जो दर्शकों द्वारा बहुत पसंद की गईं। अब तक छप्पन लघु कथाएँ और चार उपन्यास शरलॉक होम्स और उनके डॉ. मित्र जॉन एच. वाटसन पर लिखी जा चुकी है। चार को छोड़कर

माना मै पुराने ख्यालातों का हूँ by Nitesh chauhan

माना मै पुराने ख्यालातों का हूँ लेकिन लड़कियों की इच्छाओं और अधिकारों की इज्जत करता हूँ माना समझ नही आते मुझे आजके गाने क्योंकि मै लता,  और किशोर दा के गानों पर मरता हूँ हो सकता है मै चुप रहू जब मेरी मम्मी तुम्हे बिना गलती के डांट दे, इसलिये मै उस चुप्पी की पहले ही, तुमसे माफी मांगता हूं हो सकता है रोक टोक करू मै भी, क्योंकि मै एक साथी की,  अहमियत जानता हूँ    हो सकता है सुबह चाय, की जिद्द करू मै तुमसे लेकिन तुम्हारी शाम की  कॉफी मै बना दिया करूँगा हो सकता मुझे समय ना मिले दिन भर तुम्हारे साथ वक्त बिताने का, लेकिन रात को तुम्हारे बालो  को  सहलाते हुए लोरी मै सुना दिया करूँगा हो सकता है हमारी बहस हो  सलमान और शाहरुख पर, कांग्रेस और बीजेपी पर, लेकिन इन छोटी टकरारो की विजयिनी तुम ही रहोगी हो सकता है मै पूजा करू देवियों की लेकिन मेरी प्रेम यादों की देवी तुम ही बनोगी मै मानता हूं कि मै नरम जज्बात का हूँ क्योंकि हां मै पुराने ख्यालात का हूँ

Who is writer by Author Pawan Sikarwar

लेखक कौन हो सकता है या लेखक कौन बन सकता है? ऐसे सवाल अक्सर हर लेखक और पाठक के मन मे जरूर उभरता है। लेकिन इससे पहले यह जानना शायद ज्यादा जरूरी है कि लेखक कौन है? और इसका जबाब है - “लेखक एक शार्पित इन्सान है” इस एक पंक्ति में शायद आपके सभी सवालों के जबाब मिल गए होंगे। लेखक एक ऐसा इंसान है जो शार्पित है क्योंकि वह हमेशा कुछ नया लिखने के लिए बेचैन रहता है और उसकी यह बेचैनी ही उसे लेखन से जोड़ती है। अक्सर मुझसे मेरे पाठक पूछते है कि क्या लेखन के लिए साहित्यिक जीवन होना जरूरी है? और मेरा हमेशा इसपर एक ही जबाब होता है कि – “नही क्योंकि कई ऐसे महान लेखक हुए है जिनके पहले से कोई साहित्यिक जीवन से जुड़ाव नही था। ना ही उनके पिता और ना ही उनके दादा साहित्य से जुड़े हुए थे लेकिन फिर ही वह एक सफल लेखक है और यह मेरे साथ भी हुआ ना ही मेरे परिवार किसी साहित्य जीवन से जुड़ा हुआ था और ना ही मै। लेखक हर दौर से गुजरता है चांहे फिर वो गरीबी हो, या समाज दुवारा बहिष्कार हो उसका या उसकी आलोचना। लेकिन इसी बीच एक बड़ा तबका एक लेखक को प्रेम भी देता है और सहयोग भी। समाज और लेखक का रिश्ता ज्यादा अच्छा नही होता ह

Motivation 2019 Quote by Pawan Sikarwar

क़लम को बनाया हमसफ़र, तो सफर भी मुझे भा गया बन गहरा बादल मै, आसमान में जाकर छा गया छल, कपट, जलन और गुस्से को, मारदी ठोकर मेने अपने लफ्ज़ो से देखो, मै सूरज को भी खा गया लेखक पवन सिकरवार Copyright reserve ©

प्रेम कहानी wrote by Author Pawan Singh

चलो आज सुनाता हूं अपनी प्रेम कहानी मै कॉलेज में देखी थी एक लड़की अनजानी मैं उसका बचपन शरारती और नज़ाकत थी जवानी में पता नही और कितनी खूबियां थी उस रानी में बालो का खुला रहना और आंखों में हल्का काजल था उसका वो मुस्कराता चेहरा जिंदा है मेरी यादगानी में चलो आज सुनता हूं अपनी प्रेम कहानी मै धर्म अलग था कर्म अलग था थोड़ा सा वो यार अलग था प्यार तो सब करते है लेकिन उसका मेरा प्यार अलग था कॉलेज में घूमना उसके साथ कैंटीन वाला वो अचार अलग था असलियत बता रहा हु तूमको अपनी जुबानी में चलो आज सुनता हूं अपनी प्रेम कहानी मै थोड़ी सी खुशी और थोड़ा सा अब गम है दारू की तरह चढ़ती सिरपर वो रम है बाते घण्टों करती थी लेकिन बाते फिर भी कम है इश्क है उसे आज भी मुझसे बस यही मेरा वहम है उसकी यादों की खुशबू लगती सुहानी में चलो आज सुनाता हूं अपनी प्रेम कहानी मै कॉलेज में मिली और कॉलेज में ही छोड़ दिया रिश्ते के रास्ते को यूँही उसने मोड़ दिया प्यार का वो वादा, उसने वादे को ही तोड़ दिया मैने भी इस ब्रेकअप पर काफी भइया जोर दिया तब समझा कि वो खोई है सूफ़ियानी में चलो आज सुनाता हूं अपनी प्रेम कहानी