योग सिद्ध होने पर योगीयो के पास कुछ सिद्धिया आती है। ये सिद्धिया असल में और कुछ नही हमारे अवचेतन मन की असीम शक्ति ही है। हमारे मस्तिष्क के चेतन एवं अवचेतन दो प्रकार के स्मृति है। नींद में स्वप्न देखना,नींद में वच्चो का हंसना- रोना भी अवचेतन मन के बजह से होता है क्योंकि नींद में चेतन( वाह्य मन) सोया हुआ रहता है। परंतु अवचेतन मन हर समय सक्रिय रहता है हालांकि चेतन मन के जागे रहते समय हमे उतना अनुभव नही होता। समझे आपका चेतन मन मोबाइल पर है और आप घर से टहलने को निकले फिर पार्क में टहलते हुए घर बापस आये पर आपका चेतन मन तो मोबाइल में देख रहा था फिर रास्ता कौन पहचान रहा था? ये आपका ही अवचेतन मन है जो रोज आप अभ्यास करते है , जिस रास्ते से रोज जाते है उसे सब पता होता है। प्यार में भी कुछ ऐसा ही होता है जिसको आप बहुत ज्यादा सोचते है वो आपके अवचेतन मन में एकबार स्थान बना ले तो आप उसको मिटा नही पाते है। हालांकि चेतन मन में वसा तात्कालिक आकर्षन हम सहजता से भुला सकते है। अव आते है इस अवचेतन मन की असीम शक्ति पर। टेलिकिनेसिस को लेकर सायेन्टिस्ट चर्चा कर रहे । पहले जानने की आवश्यकता है टेलिकि
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