मै एक क्राइम फिक्शन लेखक हूँ और उसी मै लिखना पसंद करता हूँ क्योंकि मेरी अपराधी सोच मेरी लिखने में मदद करती है। कॉलेज के दूसरे साल तक तो मैने सोचा भी नही था कि मै एक लेखक बनूँगा या फिर लेखन में मेरी रुचि बढ़ेगी। मेरी किस्से कहानियों मे आप सभी का स्वागत है जिसका पहला अध्याय है लेखक कैसे बन गया? मुझे याद है कि स्कूल के दिनों मे किताबे पढ़ने का शौक कम ही था वरना अच्छे नम्बर आते। खैर कॉलेज में पहुंचा तो भी कोई खास बदलाव मुझमे आया नही। एक पार्ट टाइम जॉब ढूंढ ली थी और कॉलेज के बाद वंही रहता था तो पैसे की कोई दिक्कत नही होती थी मैने अपने पैसों से बाइक भी ले ली थी किश्तों पर ही सही लेकिन मेरी खुद की बाइक थी। जब कॉलेज का आखिरी साल आया तब मैंने पहली बार शेरलॉक होम्स का जासूसी उपन्यास पढ़ा फिर उसके बाद फ़िल्म फिर उसके बाद ऑथर कॉनन डॉयल की जीवनी पढ़ी उनकी इस खास रचना का सच तो जानना ही था तो एक प्रेणा मिली । मुझे भी अपना खुद का उपन्यास लिखना था सिर्फ अपनी मन की तसल्ली के लिए कोई खास किताबी मकसद कभी दिमाग मे नही आया। तीसरा अध्याय जब अपने उपन्यास का लिखा तो एक खास दोस्त से मिला उसने बताया कि म
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