मै हु हिन्दुस्तानी, जानी, पहचानी और मानी सारी बात तेरी सभ्य बनाया तुमने लेकिन, सबसे पुरानी सभ्यता मेरी जो तुम समझो हमको, हम अनपढ़ गंवार है दुनिया हिलाने को देखो, अब हम तैयार है शांति की कविता है बाबू, ये कोई दंगल नही है शेर बनकर हम दुनिया को खा जाए, लेकिन ये दुनिया है कोई जंगल नही है क्योकि मै हु हिंदुस्तानी, जानी, पहचानी और मानी सारी बात तेरी सभ्य बनाया तुमने लेकिन, सबसे पुरानी सभ्यता मेरी अब टाटा - अम्बानी से, ये जलने लगे है बॉलीवुड की कमाई के शोर, इन्हें खलने लगे है बड़े पर्दे की देखो हम, पिक्चर बना रहे ये लोग अपने हाँथ, अब मसलने लगे है ऐसे ही आगे हम, बढ़ते ही जायेंगे एशिया में नही, पूरी दुनिया मे छाएंगे नासा के साइंटिस्ट, अब इसरो में आएंगे पूरी दुनिया वाले, एक दिन अपना तिरंगा फेरायेंगे क्योकि मै हु हिंदुस्तानी, जानी, पहचानी और मानी सारी बात तेरी सभ्य बनाया तुमने लेकिन, सबसे पुरानी सभ्यता मेरी हारने लगे हो तो, नम्बर तुम गिनवा रहे तीसरे नंबर की सेना हमारी, कान तुम्हारे खुलवा रहे लड़ने पर आ जाये तो, अकेले हम सबपर भारी है बाबू अपनी चोत्तीस क
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