Skip to main content

Best motivation poem Wrote by Author Pawan Sikarwar

"मुझे हराने के लिए देखो मेरी
किस्मत ही मेरे खिलाफ खड़ी है
जी रहा हु ऐसे जिंदगी मानो
मेरी लाश कब्र में पड़ी है"

"हिसाब किताब करदो मेरा
मुझे अब कुछ नही कहना तुमसे
बहुत रुलाया है ना मैने?
दूर होकर अब खुश हो ना मुझसे"

"जिंदगी तूने पटक दिया मुझे
लगता है तू लड़ने में ही राजी है
तूने अपनी चाल चल ली ना?
अब इस शतरंज में मेरी बाजी है" 

लेखक - पवन सिकरवार 
Copyright reserved by
Sikho foundation


Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

डिटेक्टिव करुण नायर - मुर्दों के गुमशुदा होने का रहस्य

ये 71’ की शुरुआत की बात है। जनवरी बीत चुकी है और फरवरी की शुरुआत हो चुकी है। पिछले कुछ दिनों से करुण के पास कोई ऐसा केस नही आया जिसमे करुण अपनी रुचि दिखाए। करुण का स्पष्ट कहना था कि जो केस बिना रहस्यों के होते है उनको हल करने का काम पुलिस को ही करने देना चाहिए। करुण अक्सर कभी कभी ऐसी बात कर जाता था जिनको समझना मुश्किल ही नही कभी कभी नामुमकिन होता था। वह शांति पसंद प्राणी था। वह अक्सर अपना सुबह और शाम का समय आँगन में पीपल के पेड़ के नीचे चाय पीते और अखबार पढ़ते हुए बिताता था। लेकिन दोपहर में वह अपने कमरे में बैठकर कुछ ना कुछ छानबीन करने में बीतता था। वह रसायन और भौतिक विज्ञान में काफी रुचि लेता था। खैर करुण इतिहास में काफी कमजोर था इसलिए वह बिल्कुल भी इतिहास से जुड़े विवाद से अलग ही रहता था क्योंकि उसका कहना था कि “इतिहास हमे सिखाता है कि इतिहास हमे कुछ नही सिखाता” करुण अपने केस बढ़े ध्यानपूर्वक लेता था। अगर किसी का केस रहस्यों से भरा दिखता था तो वह बिना फीस लिए भी केस को सुलझाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लेता था। मै जब उससे इसका कारण पूछता था तो वह हँसकर कहता था कि सुजान “पैसों की ज्यादा इच्छ...

प्रेम कहानी wrote by Author Pawan Singh

चलो आज सुनाता हूं अपनी प्रेम कहानी मै कॉलेज में देखी थी एक लड़की अनजानी मैं उसका बचपन शरारती और नज़ाकत थी जवानी में पता नही और कितनी खूबियां थी उस रानी में बालो का खुला रहना और आंखों में हल्का काजल था उसका वो मुस्कराता चेहरा जिंदा है मेरी यादगानी में चलो आज सुनता हूं अपनी प्रेम कहानी मै धर्म अलग था कर्म अलग था थोड़ा सा वो यार अलग था प्यार तो सब करते है लेकिन उसका मेरा प्यार अलग था कॉलेज में घूमना उसके साथ कैंटीन वाला वो अचार अलग था असलियत बता रहा हु तूमको अपनी जुबानी में चलो आज सुनता हूं अपनी प्रेम कहानी मै थोड़ी सी खुशी और थोड़ा सा अब गम है दारू की तरह चढ़ती सिरपर वो रम है बाते घण्टों करती थी लेकिन बाते फिर भी कम है इश्क है उसे आज भी मुझसे बस यही मेरा वहम है उसकी यादों की खुशबू लगती सुहानी में चलो आज सुनाता हूं अपनी प्रेम कहानी मै कॉलेज में मिली और कॉलेज में ही छोड़ दिया रिश्ते के रास्ते को यूँही उसने मोड़ दिया प्यार का वो वादा, उसने वादे को ही तोड़ दिया मैने भी इस ब्रेकअप पर काफी भइया जोर दिया तब समझा कि वो खोई है सूफ़ियानी में चलो आज सुनाता हूं अपनी प्रेम कहानी...