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Showing posts from February, 2019

मुझे मुझ सा मिला wrote by author Pawan Singh

किसी के आने की जो सुनी खबर तो खुला की अरसे बाद इस दिल का दरवाजा खुला यूँ तो हर रोज किसी ना किसी से मिलता हूँ मै ये अब हुआ की कोई मुझे मुझ सा मिला ये नज्म है या ग़ज़ल या उसके रूप की कविता इस बार भी देखो मेने दिया उसे रुला वो ही झुल्फे तेरी, वो ही चेहरा, वो ही उसका सूट पहनना देखने से लगता है आज भी उसकी मेहँदी का रंग खिला खुश रहकर क्यों तू sad song सुनती है लगता है कोई आज तुझे  भी तुझ जैसा मिला तुझे अच्छा नहीं लगता अपनी बुराई सुनना क्यों उस दिन तूने मुझसे बात मत करना बोला तेरा सांवला रंग मुझे किसी परी सा लगता है सच में ये अब हुआ की कोई मुझे मुझ सा मिला wrote by Author Pawan Singh

Vo Mujhse hi Meri wrote by Author Pawan Singh

“वो मुझसे ही मेरी तारीफ करने में शर्माती है अरे मै ही तो हु फिर क्यों इतना घबराती है अगर इश्क को गुमनाम रखना है तो चल रख ले नजरे झुकाकर क्यों फिर अपनी झुलफो को सुलझाती है मै, मै नहीं तेरा आइना हूँ, फिर क्यों खुद से खुद की तारीफ करने में इतराती है चल मै ही कह देता हु तेरी तारीफ में दो लफ्ज तू तो वो खुदा ए इश्क है जो मुझे मेरी दुआ में पढाई जाती है writer - author pawan singh copyright reserved by sikho foundation