किसी के आने की जो सुनी खबर तो खुला की अरसे बाद इस दिल का दरवाजा खुला यूँ तो हर रोज किसी ना किसी से मिलता हूँ मै ये अब हुआ की कोई मुझे मुझ सा मिला ये नज्म है या ग़ज़ल या उसके रूप की कविता इस बार भी देखो मेने दिया उसे रुला वो ही झुल्फे तेरी, वो ही चेहरा, वो ही उसका सूट पहनना देखने से लगता है आज भी उसकी मेहँदी का रंग खिला खुश रहकर क्यों तू sad song सुनती है लगता है कोई आज तुझे भी तुझ जैसा मिला तुझे अच्छा नहीं लगता अपनी बुराई सुनना क्यों उस दिन तूने मुझसे बात मत करना बोला तेरा सांवला रंग मुझे किसी परी सा लगता है सच में ये अब हुआ की कोई मुझे मुझ सा मिला wrote by Author Pawan Singh
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