Skip to main content

श्रमिक को तोहफा तो दो - ऑथर पवन सिकरवार

मुझे कुछ समय दो
उस व्याध से लड़ने का
श्रमिक को तोहफा तो दो
यूँ ही लड़कर मरने का
दीप प्रज्वलित कर
सच्चाई का उजियारा फैलाना है
मुझे हिम्मत करने दो
ऐसा कुछ कर गुजरने का
श्रमिक को तोहफा तो दो
यूँ ही लड़कर मरने का
सोचा था कभी एक किसान
ताज पहन दिखाएगा
सोचा था कभी एक मजदूर
सिंहासन पर बैठ पाएगा
उसे तोहफा तो दो
ऐसे सपने देखने का
मुझे कुछ समय दो
उस व्याध से लड़ने का

ऑथर पवन सिकरवार


Comments

  1. यकीनन सुंदर और चिंतनीय कविता। बेहतरीन श्रमिक को तोहफा तो दो।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

Best motivation poem Wrote by Author Pawan Sikarwar

"मुझे हराने के लिए देखो मेरी किस्मत ही मेरे खिलाफ खड़ी है जी रहा हु ऐसे जिंदगी मानो मेरी लाश कब्र में पड़ी है" "हिसाब किताब करदो मेरा मुझे अब कुछ नही कहना तुमसे बहुत रुलाया है ना मैने? दूर होकर अब खुश हो ना मुझसे" "जिंदगी तूने पटक दिया मुझे लगता है तू लड़ने में ही राजी है तूने अपनी चाल चल ली ना? अब इस शतरंज में मेरी बाजी है"  लेखक - पवन सिकरवार  Copyright reserved by Sikho foundation

प्रेम कहानी wrote by Author Pawan Singh

चलो आज सुनाता हूं अपनी प्रेम कहानी मै कॉलेज में देखी थी एक लड़की अनजानी मैं उसका बचपन शरारती और नज़ाकत थी जवानी में पता नही और कितनी खूबियां थी उस रानी में बालो का खुला रहना और आंखों में हल्का काजल था उसका वो मुस्कराता चेहरा जिंदा है मेरी यादगानी में चलो आज सुनता हूं अपनी प्रेम कहानी मै धर्म अलग था कर्म अलग था थोड़ा सा वो यार अलग था प्यार तो सब करते है लेकिन उसका मेरा प्यार अलग था कॉलेज में घूमना उसके साथ कैंटीन वाला वो अचार अलग था असलियत बता रहा हु तूमको अपनी जुबानी में चलो आज सुनता हूं अपनी प्रेम कहानी मै थोड़ी सी खुशी और थोड़ा सा अब गम है दारू की तरह चढ़ती सिरपर वो रम है बाते घण्टों करती थी लेकिन बाते फिर भी कम है इश्क है उसे आज भी मुझसे बस यही मेरा वहम है उसकी यादों की खुशबू लगती सुहानी में चलो आज सुनाता हूं अपनी प्रेम कहानी मै कॉलेज में मिली और कॉलेज में ही छोड़ दिया रिश्ते के रास्ते को यूँही उसने मोड़ दिया प्यार का वो वादा, उसने वादे को ही तोड़ दिया मैने भी इस ब्रेकअप पर काफी भइया जोर दिया तब समझा कि वो खोई है सूफ़ियानी में चलो आज सुनाता हूं अपनी प्रेम कहानी...

Who is writer by Author Pawan Sikarwar

लेखक कौन हो सकता है या लेखक कौन बन सकता है? ऐसे सवाल अक्सर हर लेखक और पाठक के मन मे जरूर उभरता है। लेकिन इससे पहले यह जानना शायद ज्यादा जरूरी है कि लेखक कौन है? और इसका जबाब है - “लेखक एक शार्पित इन्सान है” इस एक पंक्ति में शायद आपके सभी सवालों के जबाब मिल गए होंगे। लेखक एक ऐसा इंसान है जो शार्पित है क्योंकि वह हमेशा कुछ नया लिखने के लिए बेचैन रहता है और उसकी यह बेचैनी ही उसे लेखन से जोड़ती है। अक्सर मुझसे मेरे पाठक पूछते है कि क्या लेखन के लिए साहित्यिक जीवन होना जरूरी है? और मेरा हमेशा इसपर एक ही जबाब होता है कि – “नही क्योंकि कई ऐसे महान लेखक हुए है जिनके पहले से कोई साहित्यिक जीवन से जुड़ाव नही था। ना ही उनके पिता और ना ही उनके दादा साहित्य से जुड़े हुए थे लेकिन फिर ही वह एक सफल लेखक है और यह मेरे साथ भी हुआ ना ही मेरे परिवार किसी साहित्य जीवन से जुड़ा हुआ था और ना ही मै। लेखक हर दौर से गुजरता है चांहे फिर वो गरीबी हो, या समाज दुवारा बहिष्कार हो उसका या उसकी आलोचना। लेकिन इसी बीच एक बड़ा तबका एक लेखक को प्रेम भी देता है और सहयोग भी। समाज और लेखक का रिश्ता ज्यादा अच्छा नही होता ह...