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CHARLES SOBHRAJ - THE BIKINI KILLER

 



तिहाड़ जेल से भागने वाला पहला कैदी जिसने 12 से ज्यादा खून किए और तीन देशो में सज़ा काटी.. एक ऐसा serial killer जो आज भी जिंदा है।

चार्ल्स शोभराज — दिखने में मॉडल, लेकिन दिमाग से psychopath। जिसकी मुस्कान में छिपी थी मौत।

आज की कहानी है उस शख्स की... जिसने charm को हथियार बनाया, और hippie trail को कब्रिस्तान।

1986 में. चार्ल्स शोभराज तिहाड़ जेल में बंद था। उसे 12 साल की सजा सुनाई गई। लेकिन उसे पता था — Thailand उसे भारत से ले जाना चाहता है। इसलिए वो तिहाड़ से भागना चाहता था।

तो उसने अपने जन्मदिन पर plan बनाया।

पूरी जेल में दावत रखी। मिठाई, खाना, ड्रिंक्स... लेकिन सब में मिला दिया drugs।

Guards और कैदी सब बेहोश हो गए।

और चार्ल्स? धीरे-धीरे तिहाड़ के गेट से बाहर निकल गया।

इतिहास में पहली बार कोई तिहाड़ जेल से भाग गया था।

पूरा देश हिल गया। Hong Kong तक के अखबारों में headlines छपीं। पुलिस सिर पर पांव रखे उसे खोज रही थी।

तीन हफ्ते बाद.. गोवा में O'Coqueiro restaurant था। जो की Hippies का अड्डा था।

Inspector Madhukar Zende को यकीन था कि Charles वहां आएगा। शराब और लड़कियां उसकी कमजोरी थी।

और वो आया।

Zende ने पीछे से पकड़ा... "Hello Charles, how are you?"

इस बार भागने का मौका नहीं था। 11 घंटे... रस्सी से बंधे हाथ... Mumbai तक का सफर। दो पुलिसवाले उसके ऊपर बैठे रहे... डर था कहीं फिर न भाग जाए।

लेकिन ये escape... ये गिरफ्तारी... ये तो बस एक chapter था। असली कहानी तो बहुत पहले शुरू हुई थी।

1944, Saigon, Vietnam। एक सिंधी पिता और वियतनामी मां के घर जन्मा — चार्ल्स शोभराज।

लेकिन जन्म के कुछ साल बाद ही घर बिखर गया। पिता ने उसे अपनाने से इनकार कर दिया। मां ने दूसरी शादी कर ली... एक French Army officer से।

चार्ल्स Paris पहुंचा। नया देश, नई भाषा, नया अकेलापन।

School में बच्चे उसे "mixed blood" बोलकर चिढ़ाते थे। घर में सौतेले बाप की नफरत मिलती थी।

धीरे-धीरे चार्ल्स के अंदर एक ठंडा गुस्सा भरने लगा। वो सोचने लगा — "अगर दुनिया मुझे अपनाएगी नहीं, तो मैं उसे झुका दूँगा।"

1963... 18 साल की उम्र। पहली चोरी — Paris में किसी घर में घुसकर। पकड़ा गया, जेल गया।

कुछ महीने में रिहा हो गया। लेकिन जेल ने उसे सुधारा नहीं... सिखा दिया कि कैसे system को manipulate करना है। कैसे हर इंसान की कमजोरी को हथियार बनाया जा सकता है।

जेल से निकला तो Paris के नामी अपराधियों से जुड़ गया। बड़ी-बड़ी चोरियों में नाम आने लगा।

फिर मिली Chantal Compagnion। प्यार हुआ, शादी हुई, बेटी हुई।

लेकिन एक दिन... जब Charles park में Chantal को propose करके निकल रहा था... पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वजह? जिस bike से वो आया था... वो चोरी की थी।

1970... Charles भारत आया। Iran और Pakistan से चोरी की कारें भारत में बेचीं।

1971 में गहनों की चोरी के मामले में गिरफ्तार हुआ। जमानत मिली... और फरार हो गया।

Delhi airport पर एक बार... एक hotel से लूटकर Mumbai जा रहा था। Customs ने bag जब्त किया... लेकिन Charles भाग निकला।

Greece में भी गिरफ्तार हुआ था... वहां से भी भाग गया।

इन सब में Chantal उसके साथ थी। दोनों की एक बेटी हुई।

Afghanistan में दोनों गिरफ्तार हुए। बच्ची इतनी छोटी थी कि उसे France में Chantal के माता-पिता के पास भेज दिया गया।

Charles इस जेल से भी भागा... और France जाकर अपनी ही बेटी को अगवा करने की कोशिश की।

जब Chantal रिहा हुई... तो वो अपनी बेटी को लेकर America चली गई। Charles की पहुंच से दूर।

भारत में रहते हुए Charles की मुलाकात हुई... Marie-Andrée Leclerc से। French-Canadian nurse। भारत घूमने आई थी।

दोनों की जम गई।

1975... Charles अपनी girlfriend Marie और भारतीय साथी Ajay Chowdhury के साथ Bangkok पहुंचा।

वहां वो ज्यादातर tourists के साथ उठता-बैठता। खुद को हीरे-जवाहरातों के कारोबारी की तरह पेश करता। Drug addicts से दोस्तियां गांठता।

October 1975... Thailand का Pattaya Beach। Bikini पहने एक लड़की की लाश मिली — Teresa Knowlton।

यह संभवत: Charles की पहली शिकार थी।

1975 आते-आते वो सिलसिला शुरू हो चुका था जिसका Charles उस्ताद था — drugs, murder, loot।

60 और 70 का दशक... hippies का दौर था।

Western countries के बहुत सारे लोग थोड़े पैसे इकट्ठे करके और एक bag pack करके निकल पड़ते थे। Europe से लेकर Middle East, भारत और पूर्वी Asia तक सफर।

कोई दुनिया explore कर रहा था। कोई खुद की खोज में निकला था। कोई अध्यात्म में गोता लगा रहा था। कोई धुएं के बादल उड़ा रहा था।

Technology आज जितनी विकसित तो थी नहीं। अपनों से संपर्क ज्यादातर postcards के जरिए होता था... जो हफ्तों-हफ्तों बाद पहुंचते थे।

लोगों के इस तरह आने-जाने पर कोई खास ध्यान नहीं दिया जाता था। कागजी कार्रवाई आज की जितनी लंबी-चौड़ी नहीं थी।

Thailand का हाल भी कोई अलग नहीं था। पर्याप्त पैसे हों और सही लोगों से connection हो... तो कोई हाथ लगाने वाला भी नहीं था।

ऐसे में कई युवा tourists एक के बाद एक Charles का शिकार बनते गए।

Charles उन्हें अपनी बातों की जलेबी में लपेटता। उनके लिए drugs का इंतजाम करता। अक्सर उनकी drinks में drugs मिलाकर उन्हें लाचार करता।

और फिर वही सिलसिला... drugs, murder, loot।

कुछ को डुबोकर मारा गया। कुछ का गला घोंटा गया। कुछ को चाकू से मारा गया। और कुछ के शरीर तो तभी जला दिए गए... जब वे जिंदा थे।

जब bikini पहने कई लड़कियों की लाशें मिलीं... murders में connection दिखने लगे... उन connections के तार Charles तक पहुंचने लगे... तो वो भारत आ गया।

बातें बनाकर काम निकालने का हुनर तो ऐसा था कि एक बार Nepal में arrest किया गया... तो Charles ने पुलिस को बताया कि वो तो Netherlands का रहने वाला एक teacher है।

जबकि कुछ दिनों पहले उसने ही Thailand में Netherlands के एक teacher की हत्या की थी।

July 1976... Delhi। Charles ने France से आए engineering के कई students को drugs देने की कोशिश की। Hotel Vikram में।

इसी मौके पर वो पुलिस के हत्थे चढ़ गया।

किसी murder का जुर्म तो साबित नहीं हो पाया... लेकिन चोरी और धोखाधड़ी के कई मामले साबित हुए।

Part - 2

वैसे May 1982 में भारत की एक court ने Charles को 1976 में Banaras में Israeli tourist Alan Jacob की हत्या का दोषी करार दिया था।

उम्रकैद की सजा भी सुनाई गई थी... लेकिन ऊपरी अदालत में appeal करने और सबूतों के अभाव में एक साल बाद बरी भी कर दिया गया।

Charles पर एक French नागरिक की हत्या का भी आरोप था... लेकिन वो भी साबित नहीं हो पाया।

तो Charles को 1988 तक जेल में रहना था। वो दस साल जेल में रहा भी। यह उस समय तक उसका जेल में लगातार बिताया सबसे लंबा वक्त था।

लेकिन 90 के दशक में Thailand में उसके extradition की जोरदार मांग हो रही थी। वहां उस पर 6 लड़कियों समेत कई विदेशी नागरिकों की हत्याओं का मुकदमा चलना था।

एक Turkish और एक American महिला की हत्या का मामला सबसे गर्म था।

1985 में भारत सरकार भी Thailand की गुजारिश पर Charles के extradition के लिए राजी हो गई।

Charles जानता था कि Thailand में उस पर जो cases चलेंगे... उनमें दोषी पाए जाने पर उसे मौत की सजा भी हो सकती है।

और फिर... 1986 में उसने तिहाड़ जेल में वो प्रपंच रचा। अपने जन्मदिन पर सबको drugs देकर... तिहाड़ से फुर्र हो गया।

वो भी तिहाड़ के gate पर बाकायदा photo खिंचाकर।

यह scene आपको Charles पर बनी Hindi film "Main Aur Charles" में भी देखने को मिलेगा... जिसमें Randeep Hooda ने Charles का role किया है।

इस film के सिलसिले में Hooda, Charles से मिले भी थे... जब वो Nepal की जेल में बंद था।

तो तिहाड़ जैसी जेल से भागना sensational बात थी। Hong Kong तक के अखबारों में इस पर editorials लिखे जा रहे थे।

देशभर की पुलिस सिर पर पांव रखे Charles को खोज रही थी।

Charles मिला। तीन हफ्ते बाद। Goa के Panaji में O'Coqueiro restaurant में। यह restaurant hippies के बीच खूब मशहूर था।

Goa में Charles को गिरफ्तार करने वाले Inspector Madhukar Zende कहते हैं — "Charles को hippies, शराब और लड़कियां बहुत पसंद हैं। मुझे यकीन था कि वो वहां आएगा।"

Charles आया। Zende ने उसे पहचाना और फिर पास जाकर उसे पीछे से पकड़कर कहा — "Hello Charles, how are you?"

Zende खुद tourist जैसे कपड़ों में पहुंचे थे... तो handcuffs तो थीं नहीं। उन्होंने waiter से रस्सी मंगाकर Charles के हाथ बांधे।

Zende बताते हैं कि उन्होंने Charles को jeep में पीछे लिटाया और दो पुलिसवालों से कहा कि 11 घंटे का सफर करके जब तक Mumbai नहीं पहुंच जाए... वे लोग Charles के ऊपर बैठे रहें।

बंधे हाथ और गिरफ्त में होने के बावजूद पुलिस को डर था कि कहीं Charles भाग न जाए।

Goa के उस restaurant में कुर्सी पर बैठे Charles Sobhraj की मूर्ति आज भी रखी है।

तो Charles दोबारा पकड़ में आया। फिर अदालती कार्रवाई हुई। सजा दस साल और बढ़ गई। अब उसे 1997 तक जेल में रहना था।

वो 1997 तक जेल में रहा। तब तक Thailand में उसे पकड़ने, उसके extradition और case चलाने की आवाजें भी ठंडी पड़ गईं।

जानकारों ने दावा किया कि Charles 1986 में तिहाड़ से भागा ही इसीलिए था... ताकि उसे Thailand न भेज दिया जाए।

उसे पता था कि दोबारा पकड़े जाने पर उसे फरार होने की सजा भी सुनाई जाएगी।

उधर Thailand का कानून भी ऐसा है... जिसमें अपराध दर्ज होने के 20 साल बाद उस अपराध की सजा देने के प्रावधान उतने धारदार नहीं रह जाते।

1997 में Charles तिहाड़ से रिहा होकर France चला गया।

अगले 6 साल शांति से बीतते हैं। अखबारों में छपी अपनी रिहाई की photo के साथ photo खिंचाते हुए।

शायद इस दौरान उसने कोई और हत्या नहीं की।

पर 2003 में वो Nepal लौटता है।

Nepal... जहां उस पर दो हत्याओं के आरोप हैं।

वो bar, pub, casino और restaurant वगैरह में घूमता है। मीडियावालों से मिलता है।

कहता है कि वो Nepali handicraft और shawls वगैरह का कारोबार करने आया है।

उसकी हरकतों से लगता नहीं कि उसे पहचाने जाने या पकड़े जाने की फिक्र है।

इस बार Charles Nepal में गिरफ्तार होता है। 28 साल पुराना मामला खोला जाता है।

December 1975 में Nepal में American backpacker Connie Jo Bronzich और Canadian backpacker Laurent Carrière की हत्या का मामला।

इन दोनों को चाकू से मारा गया था और इनकी जली हुई लाशें Kathmandu के बाहरी इलाके में मिली थीं।

इसके अलावा फर्जी passport पर यात्रा करने का भी आरोप था... जो ऐसे जघन्य अपराधों के सामने किसी footnote सरीखा लगता है।

August 2004 में Charles को Bronzich की हत्या का दोषी करार दिया गया और उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

Charles की जिंदगी में यह पहला मौका था... जब उसे murder के जुर्म में सजा सुनाई गई।

Charles ने इसके खिलाफ appeal की। July 2010 में Supreme Court ने appeal खारिज कर दी।

तब Canadian नागरिक Carrière की हत्या का मामला Bhaktapur की जिला अदालत में चल ही रहा था।

फिर 2014 में Carrière की हत्या के जुर्म में भी Charles को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

Nepal में उम्रकैद की सजा 20 साल की होती है।


यहां तक आते-आते अगर आपको लग रहा है कि Charles बूढ़ा हो चुका है और अब उसकी कहानी में कुछ दिलचस्प नहीं बचा है... तो यह सुनिए।

2008 में... 66 साल की उम्र में... एक murder की सजा काटते हुए और दूसरी murder का मुकदमा लड़ते हुए... Charles ने 21 साल की Nihita Biswas से शादी की।

Nihita, Charles की lawyer Shakuntala Thapa की बेटी थी।

दोनों ने जेल में उस जगह शादी की...


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