Wednesday, 31 January 2018

कविता - कोरे पन्ने write by Garima Jahangirpuri

कविता - कोरे पन्नें.............

कोरे पन्नों पर अपने भाव उकेर देते है
किसी से न कहे थे जो
वो शब्द
इन पन्नों में बांध गए है,
महज पन्नें नहीं हैं ये
सदियों पुरानी कहानी कह देते हैं
इसलिए तो....
कोरे पन्नों पर अपने भाव उकेर देते हैं।
महज़ किताबों के पन्नें ही नहीं
ज़िंदगी के पन्नें भी रोज़ पलटते हैं,
रोज़ कुछ नए, अनजाने चेहरे मिलते हैं
न वो याद रखते हैं, न हम उन्हें याद करते हैं
मिलकर आगे चल देते हैं,
और ज़िन्दगी के....
कोरे पन्नों पर अपने भाव उकेर देते हैं।
जाने अनजाने चेहरे आस-पास रहते हैं
हँसी-ठाके उन्हीं के साथ करते हैं,
फिर क्यों?
उस भीड़ में भी हम अकेले रहते हैं,
और आखिर में....
कोरे पन्नों पर अपने भाव उकेर देते हैं।
कुछ अनजान सहारे अपना हाल बता देते हैं
पल भर के लिए वे अपने रहते हैं
फिर जाने किस ओर रुख मूड लेते हैं,
भूल से याद आने पर
इन पन्नों पर ही वापस मिलते हैं,
तभी तो हम....
कोरे पन्नों पर अपने भाव उकेर देते हैं।

Saturday, 27 January 2018

कविता - भारती हु -- Author Pawan Singh

कविता – भारती हु.....।

में खुशियां मना रहा हु ,
  बेरोजगारी का
गरीबी का
 भुखमरी का
 समाज के साथ हो रहे भेदभावों का,
में इन सब खुशियों का पार्थी हु
में क्या बोलू जनाब
 में तो भारती हु।

बुराइया हमारी है
लेकिन सरकार इसको मिटाये ...2
कानून, लोकतंत्र , सँविधान द्वारा थोडा चमत्कार करके दिखाए
में भारत का नागरिक हु
ओर में ही इस अधर्म का सारथी हु
में क्या बोलू जनाब
में तो भारती हु

लेकिन समाज अब एक हो रहा है ।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई अब भाई- भाई हो रहा है..2
इन कृतियों का सिर काटने वाला
में ही दुराती  हु
में क्या बोलू जनाब
में तो भारती हु
©
Author Pawan Singh Sikarwar

Happy republic day all of you 
Love always make good society
 good society always make good government
Good Government always make good country




कविता - सृष्टि और इंसान write by Garima Jahangirpuri

कविता - सृष्टि और इंसान

शुरुआत हुई सृष्टि की
वह इंसान बन गया,
असभ्य था वह तब भी
खुद को आज भी न सभ्य कर सका,
कपड़े नहीं थे तन पर
लेकिन भावों को समझने लगे....
आज हो गया वह आधुनिक
और भाव सबके मरने लगे,
दुनिया की इस भीड़ में
जाने क्या वह तलाशता
कुछ हाथ नहीं आया
जो था वह भी गवाया,
सफलता की तलाश में
वजूद अपना खो दिया....
अंत में ठगा सा और थका सा रह गया,
था तब भी अकेला
और
आज भी अकेला रह गया,
वह इंसान तो बना पर
इंसानियत न निभा सका,
मशीनीकरण के युग में
वह मशीन बन गया,
भाव रहे न उसमे
बस शून्य रह गया
बस शून्यरह गया....

Monday, 22 January 2018

कविता - वजूद खो दिया

कविता – वजूद खो दिया

आज में एक नए शहर में आया,  जिसमे मेरी कोई पहचान नही
लोगो से मिला बहुत , लेकिन किसी भी तरह का सम्मान नही
मतलब की है ये दुनिया जानकर , आज में रो दिया ...२
देखो जानब आज मैने, अपना वजूद खो दिया...२

आंखों में कुछ सपने थे मेरे , जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए..२
बड़े शहर में आया था , अपनी पहचान बताने के लिए
बिस्तर तो कंही मिला नही यंहा , तो जाकर फुटपाथ पर ही सो लिया
देखो जनाब आज मैने, अपना वजूद खो दिया...२

उम्र छोटी थी लेकिन मजबूत थे इरादे , सबसे की गुहार मैने ,करने पूरे अपने वादे
लोगो को दिखाई अपनी कला और जंजीरो को तोड़ दिया
देखो जनाब आज मैने , अपना वजूद खो दिया ...2

 मेरा सपना आज बिखर गया, शहरी पथराव में निखर गया...२
आज मेरा सपना भी , मेरी आंखों से ओझिल हो लिया
देखो जनाब आज मैंने , अपना वजूद खो दिया ...२

Write by
Author Pawan Singh


किताबे और जिंदगी written by Author Pawan Singh

मैने अपनी जिंदगी को किताबो में तब्दील कर दिया है। जो लोग मुझे जीते जी नही समझ पाए......
वो मेरे जाने के बाद इसके जरिए समझ ले।

उस किताब के पन्नो में मैने अपनी यादे भी दाल दी है जिससे जो लोग मेरे लफ्ज़ो को जीते जी नही समझ पाए.....
 वो मेरे जाने के बाद इसके जरिए समझ ले।

इश्क़ मेने भी किया लेकिन जिसे किया उसे बता न सका। वो इश्क भी मैने इसमें दाल दिया है जिससे जो मेरे इश्क़ को जीते जी नही समझ पाए....
 वो मेरे जाने के बाद इसके जरिये समझ ले

एक किताब लिखी है मैने , अपनी जिंदगी से जुड़ी कुछ यादे , लफ्ज ,  इश्क़ ओर मेरी तन्हाई भी इसमें दाल दी है।
जिससे जो मेरी जिंदगी को जीते जी नही समझ पाए... वो मेरे जाने के बाद इसके जरिये समझ ले

Written by Author Pawan Singh

Sunday, 21 January 2018

कविता - माँ पद्मावती

कविता – माँ पद्मावती

लोकतंत्र आज खतरा बन गया , राजपुताना का दुश्मन बन गया
सिंहासन का जिसने निर्माण किया , वो उसका आज सपना बन गया
देखो माँ पद्मावती के अपमान पर, उठी राजपूताना तलवारे है
जो उस मूवी का समर्थन करे , वो सब खलजी की संतानें है.....2
भूल गए वो कर्ज हमारा , जो पूरे देश पर चढ़ा हुआ है।
अपनी माँ की इज्जत के लिए आज,  एक एक राजपूत खड़ा हुआ है ।
देखो माँ पद्मावती के अपमान पर , भड़के शोले ओर अंगारे है।
जो उस मूवी का समर्थन करे वो, सब खलजी की संतानें है...2
उस दिन सँविधान तुम्हारा कँहा था, जब हमसे हमारी जमीन मांगी थी तुमने ...2
लोकन्त्र की स्थापना के लिए , अपना गुरुर दिया था हमने...1
कँहा है वो आज लोकतंत्र , और कँहा वो राजनीति के गलियारे है।
जो उस मूवी का समर्थन करे, वो सब खलजी की संतानें है .....2
लोकतंत्र को बनाने वाले , अब लोकतंत्र के खिलाफ कर दिए गए
जिन्होंने देश के लिए जान दे दी  , वो सपूत नीलाम कर दिए गए
तैयार रहो देशवासी मेरे , राजपूत एक नई कथा दोहराने वाले है ।
जो उस मूवी का समर्थन करे वो सब खलजी की संतानें है....2
©
This poem wrote by
Author Pawan Singh Sikarwar

Saturday, 20 January 2018

कविता - खिड़की by Pawan Singh Sikarwar

कविता - खिड़की
एक दिन मेने, अपनी खिड़की खोली
ठंडी हवाओं का शोर था....2
मेरी सामने वाली खिड़की में भी चाँद सा एक चकोर था।
में मुस्करा रहा था,
वो शरमा रही थी ..2
में अपने आप को सुलझा रहा था,
 वो अपने चेहरे पर आ रही झुलफो को सुलझा रही थी
मेरा दिल भी अब इश्क़- ए- दिले चोर था... 2
मेरी सामने वाली खिड़की में भी चांद से एक चकोर था.....2
में उसे देखता रहा
और वो नजरें फेरती रही...2
इश्क़ का महजब आंखों ही आंखों में तोलती रही....1
वो मेरी ईद ओर में उसका दीवाली वाला माहौल था.....2
मेरी सामने वाली खिड़की में चाँद सा एक चकोर था
आखिर में उसने हां कर दी,
जिंदगी की एक नई शुरुआत कर दी
अकेली जिंदगी में बहार कर दी, मोहब्बत से मेरी मुलाकात कर दी।
वो मेरी दिल्ली और में उसका इंदौर था
मेरी सामने वाली खिड़की में चाँद सा एक चकोर था।
By Author Pawan Singh

Thursday, 18 January 2018

कविता – अगर वो खफ़ा है तो उसे खफ़ा ही रहनदो

इश्क़ मोहब्बत प्यार , अगर वफ़ा है तो उसे वफ़ा रहनदो...2
अगर उसे मेरी इस वफ़ा से भी खफ़ा है तो उसे खफ़ा रहनदो....2
इश्क़ मोहब्बत प्यार , अगर वफ़ा है तो उसे वफ़ा रहनदो...।
 अगर तुझे जाना है तो जा , में तेरी यादों में भी जी लूंगा ...2
उसकी तो इन यादों में भी सफ़ा है तो उसे सफ़ा रहनदो ।
इश्क़ मोहब्बत प्यार , अगर वफ़ा है तो उसे वफ़ा रहनदो...1
अब वो , मेरे दिल से निकल कर दिमाग में आ गई है...2
फिर भी , वो मेरी जिंदगी से दफा है तो उसे दफा रहनदो ...
इश्क़ मोहब्बत प्यार , अगर वफ़ा है तो उसे वफ़ा रहनदो...1
वो कहती थी कि, में तेरे बिन नही जी पाऊंगी...2
लेकिन अब अगर वो बेबफा है, तो उसे बेबफा रहनदो...
इश्क़ मोहब्बत प्यार, अगर वफ़ा है तो उसे वफ़ा रहनदो ..
अगर वो मेरी इस वफ़ा से भी खफ़ा है, तो उसे खफ़ा रहनदो ।

Thank you
 By Author Pawan singh


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