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आल्हा और उदल की कहानी भाग - 1

  यह कहानी उन वीर योद्धाओ की है जिन्हे पुरे भारतवर्ष में जाना जाता है देशराज और बेशराज दो भाई महोबे के राजा परमाल के सेनापति थे युद्ध कौशल में नपुण होने के साथ साथ वरदानी भी थे उनके हाँथ में हथियार जब तक रहता उन दोनों को हराना सम्भव नहीं था एक दिन दोनों भाई महोबे के बगीचे में रात को आराम कर रहे थे तभी माड़ौगढ़ के राजा जम्बे और उसके बेटे करिया ने महोबे पर आक्रमण कर दिया। उरई के राजा माहिल के भड़काने पर दोनों भाइयो को जम्बे कैद करके माड़ौगढ़ ले जाता है और उनके शरीर को कोल्हू ( गुड़ बनाने वाली मशीन जिसमे गन्ना डाला जाता है ) उसमे डलवा देता है और उनकी खोपड़ी को बरगद के पेड़ पर लटका देता है देशराज की पत्नी गर्भ से थी और बिना पति के मानो टूट सी गई थी कुछ समय पश्चात् ऊदल का जन्म 12 वी सदी में जेठ दशमी दशहरा के दिन दसपुरवा महोबा में हुआ। माता देवल ने अपने बेटे को यूँही जमीन पर गिरा रहने दिया वह जानती थी जब उसके दोनों पुत्र आल्...