Monday, 26 February 2018

कविता - देखो तुमने अपने हुस्न से क्या क्या पा लिया

कविता – देखो तुमने अपने हुस्न से क्या क्या पा लिया ।

इश्क़ का मुकद्दर इतिहास लिख गया
वफ़ा में बेबफाई करने का हुनर सिख गया
आशिको ने समझाया मत कर इश्क़
लेकिन कर उनको नजरअंदाज
 उस बाजार में ,
मै भी बिक गया ।
तुम्हारे लिए देखो  मेने भी
आग के दरिये में खुद को जला लिया
देखो तुमने अपने हुस्न से आज क्या क्या पा लिया ।


जो अपनी माँ तक कि नही सुनता था
वो तुम्हे घण्टों सुनने लगा ...
दर्द – ए - इश्क़ के आलम में खुद ही घुटने लगा....
लोगो से कहता फिरता था ये ही है सच्ची मोहब्बत
ओर आज उसी मोहब्बत में दर्द ढूंढने लगा....
जो गलती करने पर भी माफ़ी नही मांगता था
वो तुमसे बिन गलती माफ़ी भी मांगने लगा ...
और लगा कुछ गलत हो रहा है,
तो इस दिल ने मेरे दिमाग को भी समझा लिया
 देखो तुमने अपने हुस्न से आज क्या क्या पा लिया ।

मोहब्बत और मौत,
हे दोनों एक जैसी ही
दोनों ही तुम्हे तुम्हारे अपनो से दूर कर देती है।
ये हुस्न की परिया
तुम्हे इश्क़ में मगरूर कर देती है।
में तो कहता हूं करो इश्क़,
पर सच्चा नही
वादे भी करो ,
पर पक्का नही
माँ, पापा हो या कोई ओर जिसने भी मना किया
सभी को मेने तेरे लिये ठुकरा दिया
देखो तुमने अपने हुस्न से आज क्या क्या पा लिया ।

Poem © wrote by
Author Pawan Singh Sikarwar

No comments:

Post a Comment

ब्लॉगिंग से पैसा कैसे कमाए

ब्लॉगिंग का मतलब क्या है? अपने विचारों, ज्ञान, अनुभव को एक वेबसाइट का रूप दे देना इसमें आप जिस काम मे अच्छे है वो कर सकते है जैसे की अगर ...