कविता – आज मैने सभ्य समाज में असभ्यता देखी है।
फिर एक बेटी को रौंदा कुछ बेहशी दरिंदो ने
क्या गलती की थी? उन नन्हें परिंदों ने
धर्म की आड़ में फिर कुछ मुजरिम छूट रहे है
आज फिर एक बच्ची की माँ के आँशु फुट रहे है
आज भगवान के घर में भी मैने वीभत्सता देखी है
सभ्य समाज मे मैने आज असभ्यता देखी है
अभी कुछ मत बोलो क्योंकि राजा सो रहे है
चुनाव के लिए फिर कुछ दंगे बो रहे है
इस लोकतंत्र मै कौन उस माँ को न्याय दिलाएगा
कौन उस बाप को अब अब्बू कह कर बुलायेगा
यह दाग नही है सिर्फ मुसलमान पर
यह तो घाव है पूरे हिंदुस्तान पर
आज मैने रोते बिलखते मानवता देखी है
सभ्य समाज मे मैने आज असभ्यता देखी है
लेकिन फिर कुछ लोग इसे सम्प्रदायिकता में तोलएंगे फिर कुछ लोग बिकाऊ मीडिया की भाषा बोलएंगे
आज फिर मैने पनपनती अराजकता देखी है
सभ्य समाज मे मैने आज असभ्यता देखी है
छोड़ ये मर्यादा रूप और काली का अवतार कर
ऐसे दानवो का तू देवी नरसंहार कर
दिखा दे कि स्त्री कमजोर नही है इस असभ्य समाज के लिए औरत भी हथियार उठा सकती है अपने स्वभिमान के लिए
आज अपने ही बच्चों से डरती मैने भारतमाता देखी है सभ्य समाज मे मैने आज असभ्यता देखी है RIP for ASIFA Copyright © by Author Pawan Singh
फिर एक बेटी को रौंदा कुछ बेहशी दरिंदो ने
क्या गलती की थी? उन नन्हें परिंदों ने
धर्म की आड़ में फिर कुछ मुजरिम छूट रहे है
आज फिर एक बच्ची की माँ के आँशु फुट रहे है
आज भगवान के घर में भी मैने वीभत्सता देखी है
सभ्य समाज मे मैने आज असभ्यता देखी है
अभी कुछ मत बोलो क्योंकि राजा सो रहे है
चुनाव के लिए फिर कुछ दंगे बो रहे है
इस लोकतंत्र मै कौन उस माँ को न्याय दिलाएगा
कौन उस बाप को अब अब्बू कह कर बुलायेगा
यह दाग नही है सिर्फ मुसलमान पर
यह तो घाव है पूरे हिंदुस्तान पर
आज मैने रोते बिलखते मानवता देखी है
सभ्य समाज मे मैने आज असभ्यता देखी है
लेकिन फिर कुछ लोग इसे सम्प्रदायिकता में तोलएंगे फिर कुछ लोग बिकाऊ मीडिया की भाषा बोलएंगे
आज फिर मैने पनपनती अराजकता देखी है
सभ्य समाज मे मैने आज असभ्यता देखी है
छोड़ ये मर्यादा रूप और काली का अवतार कर
ऐसे दानवो का तू देवी नरसंहार कर
दिखा दे कि स्त्री कमजोर नही है इस असभ्य समाज के लिए औरत भी हथियार उठा सकती है अपने स्वभिमान के लिए
आज अपने ही बच्चों से डरती मैने भारतमाता देखी है सभ्य समाज मे मैने आज असभ्यता देखी है RIP for ASIFA Copyright © by Author Pawan Singh
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