कविता – सच कह रहा हु मै शायर नही हु बस लोग कहते है।
जिसे चाहता हु अपने ख्यालो में
वो ख्वाइस हो तुम
जिसे तराशा था अपने सपनो में
उन सपनों की नुमाइश हो तुम
पता नही इश्क़ में
लोग क्या क्या सहते है
सच कह रहा हु मै शायर नही हु
बस लोग कहते है....2
इश्क़ के दरिये में गोते
जाने कितने लगाते है
नीलकंठ सा जहर
जाने कितने पाते है।
आज कल वो आशिक़
मोहब्बत में रहते है
सच कह रहा हु मै शायर नही हु
बस लोग कहते है...3
आज कल प्रेम में
मीरा की भक्ति कँहा
कृष्ण को प्रेमवश में करने वाली
वो राधा में शक्ति कँहा
प्रेम के आगे तो
भगवान भी ढहते है
सच कह रहा हु मै शायर नही हु
बस लोग कहते है।
Copyright ©
By
Wrote by Author
Pawan Singh Sikarwar
जिसे चाहता हु अपने ख्यालो में
वो ख्वाइस हो तुम
जिसे तराशा था अपने सपनो में
उन सपनों की नुमाइश हो तुम
पता नही इश्क़ में
लोग क्या क्या सहते है
सच कह रहा हु मै शायर नही हु
बस लोग कहते है....2
इश्क़ के दरिये में गोते
जाने कितने लगाते है
नीलकंठ सा जहर
जाने कितने पाते है।
आज कल वो आशिक़
मोहब्बत में रहते है
सच कह रहा हु मै शायर नही हु
बस लोग कहते है...3
आज कल प्रेम में
मीरा की भक्ति कँहा
कृष्ण को प्रेमवश में करने वाली
वो राधा में शक्ति कँहा
प्रेम के आगे तो
भगवान भी ढहते है
सच कह रहा हु मै शायर नही हु
बस लोग कहते है।
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