कविता – वाह जनाब क्या शायरी थी ।
लेखक - पवन सिंह सिकरवार
ये इश्क़ नही था उसका
ये तो उसकी अख़्तियारी थी
कागज पर लिखे मैने उल्टे सीधे शब्द
लोगो ने कहा वाह जनाब
क्या शायरी थी .....२
मोहब्बत का पर्दा
अब बेपर्दा हो गया
बिन आग के लगी
वो चिंगारी थी
अब कैसे करूँ बयाँ अपना दर्द
मोहब्बत सी लगने वाली
ये कोई उम्रदराज बीमारी थी
कागज पर लिखे मैने उल्टे सीधे शब्द
लोगो ने कहा वाह जनाब
क्या शायरी थी....३
कृष्ण रंग की मृग थी वो
या वो राधा नाम सी प्यारी थी
शायरी सी सच्ची थी वो
और कविताओं सी संस्कारी थी
कागज पर लिखे मैने उल्टे सीधे शब्द
लोगो ने कहा वाह जनाब
क्या शायरी थी.....४
Write By ©
Author Pawan Singh Sikarwar
लेखक - पवन सिंह सिकरवार
ये इश्क़ नही था उसका
ये तो उसकी अख़्तियारी थी
कागज पर लिखे मैने उल्टे सीधे शब्द
लोगो ने कहा वाह जनाब
क्या शायरी थी .....२
मोहब्बत का पर्दा
अब बेपर्दा हो गया
बिन आग के लगी
वो चिंगारी थी
अब कैसे करूँ बयाँ अपना दर्द
मोहब्बत सी लगने वाली
ये कोई उम्रदराज बीमारी थी
कागज पर लिखे मैने उल्टे सीधे शब्द
लोगो ने कहा वाह जनाब
क्या शायरी थी....३
कृष्ण रंग की मृग थी वो
या वो राधा नाम सी प्यारी थी
शायरी सी सच्ची थी वो
और कविताओं सी संस्कारी थी
कागज पर लिखे मैने उल्टे सीधे शब्द
लोगो ने कहा वाह जनाब
क्या शायरी थी.....४
Write By ©
Author Pawan Singh Sikarwar
No comments:
Post a Comment