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कविता - बस उस परिंदे को देखना अच्छा लगता है wrote by Pawan Singh Sikarwar

कविता  -   बस उस परिंदे को देखना अच्छा लगता है

Wrote By Pawan Singh Sikarwar
Copyright by Sikho Foundation

आज कल अकेला रहना अच्छा लगता है।
 ना किसी से कोई शिकायत और ना ही किसी से उम्मीद
 बस अपने आप में मग्न रहना अच्छा लगता है
लगता है मानो कोई परिंदा आजाद हो गया हो
बस उस परिंदे को देखना अच्छा लगता है

एक तरफा ही सही प्यार अभी भी हे उससे
अब उसके प्यार की प्यारी यादो में खोना अच्छा लगता है
 लगता है मानो वह समुन्दर की लहरों सी हो
जिसे छू कर भाग जाना अच्छा लगता है

आज कल बस लेटे रहना अच्छा लगता है
शाम की चाय की चुस्की लेना अच्छा लगता है
शायरी किताबो और कविताओं से दोस्ती भी कर ली है
क्योकि अब हँस कर अपना दुःख लोगो को बताना
अच्छा लगता है
 लगता है मानो जिंदगी हँस रही हो मुझपर
 लेकिन अब इस दुनिया में पागल कहलाना अच्छा लगता है
लगता है मानो कोई परिंदा आजाद हो गया हो

बस उस परिंदे को देखना अच्छा लगता है


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