Thursday, 7 February 2019

मुझे मुझ सा मिला wrote by author Pawan Singh

किसी के आने की जो सुनी खबर तो खुला
की अरसे बाद इस दिल का दरवाजा खुला

यूँ तो हर रोज किसी ना किसी से मिलता हूँ मै
ये अब हुआ की कोई मुझे मुझ सा मिला

ये नज्म है या ग़ज़ल या उसके रूप की कविता
इस बार भी देखो मेने दिया उसे रुला

वो ही झुल्फे तेरी, वो ही चेहरा, वो ही उसका सूट पहनना
देखने से लगता है आज भी उसकी मेहँदी का रंग खिला

खुश रहकर क्यों तू sad song सुनती है
लगता है कोई आज तुझे  भी तुझ जैसा मिला

तुझे अच्छा नहीं लगता अपनी बुराई सुनना
क्यों उस दिन तूने मुझसे बात मत करना बोला

तेरा सांवला रंग मुझे किसी परी सा लगता है

सच में ये अब हुआ की कोई मुझे मुझ सा मिला

wrote by Author Pawan Singh

Vo Mujhse hi Meri wrote by Author Pawan Singh

“वो मुझसे ही मेरी
तारीफ करने में शर्माती है
अरे मै ही तो हु
फिर क्यों इतना घबराती है
अगर इश्क को गुमनाम रखना है
तो चल रख ले
नजरे झुकाकर क्यों फिर
अपनी झुलफो को सुलझाती है
मै, मै नहीं तेरा आइना हूँ,
फिर क्यों खुद से खुद की
तारीफ करने में इतराती है
चल मै ही कह देता हु
तेरी तारीफ में दो लफ्ज
तू तो वो खुदा ए इश्क है
जो मुझे मेरी दुआ में पढाई जाती है

writer - author pawan singh
copyright reserved by sikho foundation



ब्लॉगिंग से पैसा कैसे कमाए

ब्लॉगिंग का मतलब क्या है? अपने विचारों, ज्ञान, अनुभव को एक वेबसाइट का रूप दे देना इसमें आप जिस काम मे अच्छे है वो कर सकते है जैसे की अगर ...